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चिमु की चतुरता और चिड़ियों का चहचहाट
चम्पा नाम के एक छोटे से गाँव में चिमु नाम की एक चंचल गिलहरी रहती थी. चिमु को पेड़ों पर इधर-उधर छलांग लगाना और मीठे आम खाने का बहुत शौक था. गाँव के बगीचों में लगे आम के पेड़ चिमु के पसंदीदा अड्डे थे.

एक दिन, चिमु खुशी से पेड़ों के बीच उछल-कूद कर रही थी, तभी उसे एक बड़ा सा जाल पेड़ों के बीच फैला हुआ दिखाई दिया. जाल चमकीला था और सूरज की रोशनी में चमक रहा था. चिमु को लगा ये कोई नया खिलौना है. वह उत्सुकतावश जाल के करीब पहुंची.

जैसे ही चिमु जाल को छूने के लिए आगे बढ़ी, एक छोटी सी चिड़िया फँसी हुई जाल में फड़फड़ाने लगी. चिमु चौंक गई. चिड़िया बेचारी जाल में फंसी हुई थी और छूटने के लिए संघर्ष कर रही थी. चिमु को उस पर दया आ गई.

चिमु चिड़िया को छुड़ाने का उपाय सोचने लगी. जाल मजबूत था और उसे तोड़ना चिमु के लिए नामुमकिन था. चिमु इधर-उधर देखने लगी, तभी उसे दूर खेत में काम कर रहे एक किसान बाबा दिखाई दिए. चिमु को एक तरकीब सूझी.

वह तेजी से दौड़कर बाबा के पास गई और उनके पैरों के पास जोर-जोर से चहचहाने लगी. बाबा चौंक गए. गाँव में कोई भी गिलहरी इस तरह से चहचहाती नहीं थी. उन्हें लगा शायद कोई खतरा है.

चिमु चहचहाते हुए उन्हें पेड़ों की तरफ ले गई. बाबा चिमु के पीछे-पीछे पेड़ों तक पहुँचे. वहाँ देखकर उन्हें समझ में आया कि एक चिड़िया जाल में फंसी हुई है. बाबा जल्दी से अपनी जेब से चाकू निकाला और जाल को काटकर चिड़िया को छुड़ा लिया.

आज़ाद होकर चिड़िया खुशी से चहचहाने लगी और पेड़ों पर उड़ गई. बाबा ने चिमु को समझाने की कोशिश की कि जाल से दूर रहना चाहिए, ये खतरनाक हो सकता है. चिमु बाबा की बातों को समझ नहीं पाई, लेकिन वह खुश थी कि उसने चिड़िया को छुड़ाने में मदद की.

कुछ दिन बाद, चिमु फिर से उसी बगीचे में खेल रही थी. तभी उसे दूर से कुछ शोर सुनाई दिया. आवाज़ आ रही थी - "चोर! चोर!" चिमु आवाज़ की तरफ दौड़ी. गाँव के लोग एक खेत के पास इकट्ठा थे. वे चोर को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन चोर बहुत तेज था और भाग रहा था.

चोर के हाथ में एक थैला था, जिसमें कुछ चमकीली चीजें चमक रही थीं. चिमु को वो चमकीली चीजें पहचान में आ गईं. वो वही जाल था, जिसे वह पहले छूने गई थी!

चिमु समझ गई कि चोर उसी जाल का इस्तेमाल करके गाँव वालों के मुर्गी और खरगोश चुरा रहा था. चिमु को बाबा की बातें याद आईं. जाल खतरनाक था. किसी को भी इसमें फँसना नहीं चाहिए.

चिमु ने चोर को पकड़ने का प्लान बनाया. वह पेड़ों पर तेजी से दौड़ने लगी और चोर के रास्ते में आ गई. चोर चिमु को रास्ते से हटाने के लिए रुका. उसी मौके का फायदा उठाकर गाँव के लोग चोर को पकड़ने दौड़ पड़े. चोर भाग नहीं सका और उसे पकड़ लिया गया.

गाँव वालों को बहुत खुशी हुई. उन्होंने चिमु की चतुराई की तारीफ की. चिमु खुशी से फुदक रही थी. उसे इस बात की खुशी नहीं थी कि उसे गाँव वालों से तारीफ मिली, बल्कि उसे इस बात की खुशी थी कि उसने अपनी चतुराई से चोर को पकड़ने में मदद की और किसी को भी जाल में फँसने से बचा लिया.

इस घटना के बाद से चिमु जाल से हमेशा दूर रहती थी. वह बाकी जानवरों को भी जाल के खतरे के बारे में बताती थी. गाँव में कभी भी कोई चोरी नहीं हुई और चिड़ियाँ भी बिना किसी डर के पेड़ों पर चहचहाती रहीं.

सीख

यह कहानी हमें दो चीजें सिखाती है:

दयालु बनो: चिमु ने फंसी हुई चिड़िया को देखकर दया का भाव दिखाया. उसी दया की वजह से वो बाबा को बुलाने में सफल रही. दयालु होना एक अच्छा गुण है. हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए.
समस्या का हल ढूंढो: चिमु जाल तो नहीं तोड़ सकती थी, लेकिन उसने बाबा को बुलाकर समस्या का समाधान निकाला. हमें भी किसी मुश्किल परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए, बल्कि उसका हल ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए.
इस कहानी से बच्चों को ये सीख मिलती है कि दूसरों की मदद करनी चाहिए, चाहे वो इंसान हो या जानवर. साथ ही, किसी भी मुश्किल का सामना चतुराई से किया जा सकता है.
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