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किमियागर भाग 1(c)
पिछला नहीं पढा तो ये ना पढ़ना its ok.....
"मैं यहाँ आपसे अपनी हाथ की रेखाएँ पढ़वाने नहीं आया था," उसने कहा। उसे वहाँ आने पर पछतावा हो रहा था। पल भर को उसके मन में आया कि वह उसकी फ़ीस अदा करे और वहाँ से चलता बने। उसे यह भी लगा कि वह बार-बार आने वाले अपने उस सपने को कुछ ज़्यादा ही अहमियत दे रहा है।

"तुम यहाँ इसलिए आए थे ताकि अपने सपने के बारे में जान सकते," बुढ़िया ने कहा, "और सपने ईश्वर की ज़बान होते हैं। जब वह हमारी ज़बान में बात करता है, तो मैं समझ सकती हूँ कि उसने हमसे क्या कहा है। लेकिन अगर वह आत्मा की ज़बान में बात करता है, तो फिर सिर्फ तुम ही उसे समझ सकते हो। बहरहाल, जो भी हो, मैं तुमसे इस सलाह के लिए फ़ीस तो लूँगी ही।"

लड़के ने सोचा, यह भी इसकी एक और चाल है, लेकिन फिर उसने जोखिम उठाने का मन बना लिया। आख़िर एक गड़रिये को भेड़ियों और भूख से निपटने के जोखिम तो उठाने ही पड़ते हैं, और यही चीज़ उसके जीवन को रोमांचक बनाए रखती है।

"मुझे एक ही सपना दो बार आया है," उसने कहा। “सपने में मैंने देखा कि मैं अपनी भेड़ों के साथ एक चारागाह में हूँ, तभी एक बच्ची आयी और वह भेड़ों के साथ खेलने लगी। मुझे यह पसंद नहीं है कि लोग ऐसा करें, क्योंकि भेड़ें अजनबियों से डर जाती हैं, लेकिन लगता है कि बच्चे उनको डराये बिना उनके साथ खेल सकते हैं। मैं इसकी वजह नहीं जानता। मैं नहीं जानता कि भेड़ों को इंसान की उम्र के बारे में कैसे पता चल जाता है।"

"मुझे अपने सपने के बारे में और बताओ, औरत ने...