अखबार और राजनिति
#वोट
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
अखबार की तरफ देखते हुए बनवारी कहने लगा भाईसाहब आजकल की जो राजनीति है वो बहुत ही बेकार हो रही है हमेशा हिंदू मुस्लिम और तू इस जाति का है मैं...
चाय की टपरी में आज काफी गहमा गहमी है। बनवारी लाल हाथ में अख़बार लिए पढ़ रहे और हर एक ख़बर पर चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा हो रही। जैसे चुनाव के दल वैसे ही चाय की दुकान भी दो हिस्सों में विभाजित हो गई थी।
अखबार की तरफ देखते हुए बनवारी कहने लगा भाईसाहब आजकल की जो राजनीति है वो बहुत ही बेकार हो रही है हमेशा हिंदू मुस्लिम और तू इस जाति का है मैं...