आंधी
आज मेरे मन में भावनाओं से ओत-प्रोत आंधी आई हुई है जोदिमाग को झकझोरती हुई दिल में उफान मचा रही है।
और मैं कुछ नहीं कर पा रही हूं।बस चुप-चाप सी बैठ गई।या यूं कहें कि बहुत कुछ करना चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पा रही हूं। सुबह से शाम हो गई अपने को सम्हालते हुए आखिर सब्र का बांध टूट ही गया। और फूट-फूटकर रोई।
खबर मिली मेरे बड़े भाई को ब्रेन हेमरेज हुआ है। मैं जा नहीं सकती कोरोना की वजह से मुम्बई में रहने की वजह से,दो बच्चों को छोड़ कर मैं कैसे जाऊं । बहुत लोगों को लगा कि तुम कब आ रही हो? क्यों नहीं आई? बहुत दिल दुखा ।...