...

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"मैं और मेरा बरसों पुराना झुमका"
तरस जाती हूं मैं तेरे दीदार के लिए और
शायद तुम भी ।मुझे आज भी याद है जब हम एक दूसरे को देखकर घंटो बातें
किया करते थे।लोग हमें पागल समझें शायद.... पर कोई नहीं वो तो तुम्हे पता है ना मेरा बेपनाह प्यार।
जब दीवारों के कान हो सकते हैं,
भगवान की मूर्ति से प्यार हो सकता है,
अभी इतना ही नहीं जब मूर्ति से शादी भी... तो हमारे बीच प्यार क्यूं नहीं।...