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मिस रॉन्ग नंबर - 3
#रॉन्गनंबर

~~~~ पार्ट 3 ~~~~

(जीत फोन आए लड़की की मदद के लिए निकलता है~~~~)

आखरी पल~~~~

मेरे दिमाग को सिर्फ इतना पता था की मेरे पैर मुझे उस आवाज की दिशा में ले जा रहे है। मैं चाहूं या ना चाहूं पर अब चलना उसी तरफ है जहां ये पैर मुझे ले जायेंगे । दिमाग भी अब स्थिर हुआ..! जो होना है देखा जाएगा एक अजीब तरह की दृढ़ता भर आयी "बस.., या तो आर या पार...!" फिर चाहे जीवन मरण की लड़ाई ही क्यों न करनी पड़े ।

अब आगे ~~~~

चल तो पड़ा हूं... अकेले.. सुनसान सड़क पर... बारिश की वजह से रास्ते पूरे विरान थे । पूरा फिल्मी वातावरण तैयार कर रहे थे, सुनसान सड़क पर एक अकेला इंसान... वह भी... वह भी... न जाने किसी धुन में चला जा रहा था.., सिर्फ अपने अंतर्मन की आवाज पर... किसी की मदद के लिए ।
रास्ते तो खैर, पहचाने से थे अंधेरे में भी समझ में आ रहे थे। पैर धीरे-धीरे एक सुनसान से बंगले की तरफ चल पड़े.... काफी सालों से देख रहा हूं , बड़ा सुनसान वीरान सा बंगला । है तो वैसे खूबसूरत पर ना इंसानों की आवाजाही... ना लोगों का रहना... समझ में नहीं आता कि यहां लोग रहते भी है कि नहीं ??
लेकिन हां... बंगला जरूर साफ सुथरा रहता था, जैसे कोई रहता हो अंदर ही अंदर पर कभी कोई बाहर दिखा नहीं । अब.. अब, हमको भी क्या करना... किसी के यहां कौन क्या करता है?? किसी कि जिंदगी में हम थोड़ी ना तांकझाँक कर सकते हैं ।
मेरे कदम धीरे-धीरे उसके गेट की तरफ बढ़े और बढ़ते ही चले गए ... !
आज गेट खुला कैसे हैं?? बाहर कोई नहीं है..?? मुझे क्या करना है ?? मैं वहां से आगे बढ़ना चाहता था लेकिन फिर से अंदर की आवाज ने पुकारा.... । "जी....त…. ज..ल्दी.. आ…ओ..! मु..झे तु..म्हा..री ... म.द.द... चा..हि..ए....! मु..झे ब..चा..ओ...! प्ली...ज....! हे...ल्प मी...! प्ली….ज...., हे...ल्प.... मी...!"

अब तो यह पक्का हो गया था.. आवाज इसी घर से आ रही थी.. और मेरे पैर भी ठीक वैसे ही अंदर अंदर खींचे जा रहे थे। बड़ा अजीब सा लग रहा था वहां, पर क्या ?? समझ में नहीं आ रहा था । सब कुछ समझ से परे था । धीरे-धीरे गेट से लेकर बंगले की दरवाजे तक बढ़े पैरों ने कहा.. नहीं, यहां से नहीं... मुझे कहीं और से जाना चाहिए...!!! और मैं अंदर जाने का दूसरा रास्ता ढूंढने लगा ।
मैंने बगल की खिड़कियों से झांकना शुरू किया बड़े चुपके से... धीरे से... क्योंकि मेरे होने का एहसास मुझे नहीं कराना था । मैंने अंदर का कुछ नजारा देखा अंदर वैसे तो अंधेरा था पर मोमबत्तीयोंका प्रकाश फैला था।

( क्रमशः ~~~~ )

(आगे की कहानी की प्रतीक्षा करिए... अगले अंक में हम फिर जल्द ही मिलेंगे आगे क्या हुआ जानने के लिए...) ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
© Devideep3612