ईश्वर की संतानें
निठारी कांड याद है आपको? जब एक अधेड़ व्यक्ति ने बहुत से मासूम बच्चों की हत्या करने के बाद पका कर उन्हें खाया भी था? सुन कर दिल दहल गया था। और वो देहरादून वाला कांड, जिसमें पति ने अपनी ब्याहता पत्नी (अरेंज मैरिज) के बहत्तर टुकड़े कर दिये थे? कॉलेज में जानें-कितने दिनों तक हम सहेलियों ने इस पर चर्चा की होगी। कॉलेज में ही एक बार सुना था दामिनी गैंगरेप के बारे में। क्रूरता इस हद तक भी होती है क्या? पहले तो गैंगरेप जैसी नृशंसता, उसके बाद शरीर को इस हद तक ज़ख्मी कर के दिल्ली की सर्द सड़क पर नंगा बदन फैंक देना। कॉलेज जानें वाली हम सहेलियां इन सब की कल्पना भी नहीं कर पा रहे थे कि "मनुष्य ऐसे भी हो सकते हैं" और कैसे ही करते? क्रूरता का इतना वीभत्स दृश्य हमने देखा ही पहली बार था। उससे भी बड़ा आश्चर्य ये हुआ कि कुछ लोग बाज नहीं आ रहे थे दामिनी को संस्कार सिखाने से। उनमें से कुछ प्रोफेसर्स और रिसर्च स्कॉलर्स भी थे जो अब प्रोफ़ेसर बनने की अपनी मंजिल पा चुके हैं। मेरे एक प्रोफेसर महोदय जिनके विषय में उनके पुराने छात्र मिलने पर ये पूछते हैं कि वो "सुधरे कि नहीं?", जिन पर इतनी बार "me too" लग चुका है और जिनकी वजह से मैंने पीएचडी वहां करना मुनासिब नहीं समझा, वो सर लड़कियों को...