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स्कूल स्टूडेंट का पहला पीरियड : भाग 2
रमेश की आज ऑफिस में बहुत ही इम्पोर्टेन्ट मीटिंग थी। उसे ऑफिस जल्दी निकलना था इसीलिए आज वो सुबह जल्दी से उठा और अपनी बेटी जागृति के लिए ब्रेकफास्ट बनाने लगा।

जागृति भी जाग गई थी लेकिन आज उसे थोड़ी सुस्ती लग रही थी इसलिए वो बेड पर ही थी। तभी उसकी नजर घड़ी पर गई तो उसमें 7:30 बज गए थे।

जागृति," अरे बाप रे ! 8:00 बज गए। पता नहीं क्या हो गया मुझे, आज इतनी देर तक सोई रही ? अब स्कूल जाने में देर हो जाएगी और आज तो मैथ का पेपर है। "

वो जल्दी से उठी और फटाफट तैयार होकर डाइनिंग टेबल पर बैठी ही थी कि उसके पापा उसके लिए ब्रेड लेकर आए। ब्रेड को देखकर जागृति ने कहा।

जागृति," पापा, ये ब्रेड का क्या किया आपने, ये तो पूरी तरह जल गई है ? "

रमेश," अरे ! वो ऑमलेट बना रहा था तो ब्रेड पर ध्यान ही नहीं रहा इसलिए जल गया। रुको, मैं तुम्हारे लिए ऑमलेट लेकर आता हूँ। "

जब वो आमलेट लेकर आया तो ऑमलेट की हालत भी ब्रेड की तरह ही थी। पूरी तरह जली हुए ऑमलेट को देखकर जागृति ने अपने पापा की ओर मुस्कुराते हुए देखा और कहा।


जागृति," मैं जानती हूँ... मैं जानती हूँ वो आप एक तरफ ब्रेड सेंक रहे थे इसीलिए आमलेट पर ध्यान नहीं रहा, इसलिए जल गया। "

उसकी बात सुनकर दोनों खिलखिलाकर हंस पड़े।

रमेश," सॉरी बेटा ! वो क्या है ना कि आज तुम्हारे पापा की एक जरूरी मीटिंग है तो मैं ब्रेकफास्ट कम बना रहा था और मीटिंग के बारे में ज्यादा सोच रहा था। "

जागृति," अरे ! कोई नहीं पापा, कभी कभी जली चीजों में भी बहुत स्वाद होता है। बस शर्त है कि वो पापा ने जलाई हो। "

रमेश," सुन बेटा, मैं निकल रहा हूँ। तुम्हारी भी बस थोड़ी देर में आ जाएगी। "

ये कहकर रमेश निकल गया। पिछले 5 साल से रमेश जागृति के लिए उसकी माँ और पापा दोनों का रोल निभा रहा था।

5 साल पहले रमेश को अपनी पत्नी जयंती के पेट में कैंसर के बारे में पता लगा। लेकिन जब तक पता लगा तब तक बहुत देर हो चुकी थी।


5 साल पहले...
रमेश," ये तुम सही नहीं कर रही हो, जयंती। तुमने कहा था हमेशा साथ निभाओगी। तुम इस तरह बीच रास्ते में मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। "

जयंती," रो मत रमेश। जाना कौन चाहता है लेकिन ये कमबख्त बिमारी ही ऐसी है कि मुझे जीने नहीं दे रही। "

जयंती चली गई... बहुत दूर, तमाम उम्मीदों और दर्द के परे, दूसरी दुनिया में। उसके जाने के बाद रमेश टूट जाता लेकिन उसने जयंती से वादा किया था कि वो जागृति का पापा भी बनेगा और मम्मी भी।

उसके जाने के बाद उससे जितना बन पड़ता था उससे कहीं ज्यादा वो अपनी बेटी जागृति के लिए करता था। जागृति के लिए भी वह दुनिया का सबसे बेस्ट पापा था।

बहरहाल... उस दिन रमेश के ऑफिस जाने के बाद जागृति के पेट में बहुत दर्द होने लगा। वो दर्द असहनीय था।

जागृति," ये पेट में इतनी ज़ोर से दर्द क्यों होने लगा ? पापा को कॉल करू क्या..? नहीं नहीं, उनकी तो आज बहुत ही इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है। "

जागृति ने बर्दाश्त करने की बहुत कोशिश की लेकिन दर्द तो कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। तभी उसे लगा कि उसके कपड़ों में कुछ लगा है।

वह बाथरूम गई लेकिन बाथरूम जाकर उसने जो देखा उसे देखकर वो बहुत डर गई।

जागृति," ये... ये क्या हो गया है मुझे ? ये तो खून है। ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ। कहीं मुझे कोई बड़ी बिमारी तो नहीं हो गई ? "

यह उसका पहला पीरियड था। उसकी माँ तो थी नहीं इसलिए उसे इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। वो बेहद डर गई थी।


उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किससे बात करे और इस बारे में किससे पूछे। उसने अपनी बेस्ट फ्रेंड श्वेता को फ़ोन किया।

लेकिन उस दिन फ़ोन का नेटवर्क बहुत ही खराब था। वो उसे फ़ोन पर अपनी कंडीशन बताने की कोशिश करने लगी। लेकिन......

Further story in next part.............
© kittu_writes