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खुशी
खुशी

खुशी वह अनमोल धन है, जिसका कोई मोल नहीं है, जिसका दाम नहीं, न ही रूपये-पैसे से खरीद- बिक्री की जा सकती हैं न ही दान, दहेज अथवा किसी वस्तु के बदले में ले दे शक्ते है यह खुशी केवल और केवल हमारे परिवार, समाज, आस पास के लोग, हमारे योग्यता, व्यवहार, व्यक्तित्व, नेत्रृत्व क्षमता, और हमारे बहुमूल्य गुण-धर्म-कर्म, आदर्श व्यवहार हमारे जीवन का खुशी का आधार होता है।

अगर हम सबरना, आगे बढ़ना, खुशी पाना चाहते हैं, और इस गुण धर्म व आदर्श को किसी हासिये अथवा ताक पर रख देते हैं तो तात्कालिक खुशी मिल शक्ति है लेकिन परमानेंट नहीं, हमारा आत्मा विश्वास हमारा साथ छोड़ देगा और हम पथ से डगमगाने लगेंगे न चाहते हुए भी अपने-आप से गलानी करने लगेंगे तथा हम पिछे के तरफ मुड़ना चाहेंगे तो भी मुड़ न पाएंगे और आगे के जीवन में निराश व व्याकुल जीवन जीने के लिए मजबूत हो जाएंगे

इसीलिए सुरवाती जीवन से ही अपने दृष्टिकोण को ठीक रखें, अच्छा कर्म करें बेहतर प्रदर्शन व परिणाम दे जीससे लोगों का विश्वास आपके प्रति बढ़ेगा और आगे जीवन दर्शन खुश मय व खुशी का होगा।।
© Sandeep Kumar