धारणा
एक हंस दंपति ने लम्बी यात्रा के लिए उड़ान भरी। पूरे दिन उड़ते उड़ते जब सूर्यास्त हुआ,तो दोनो ने रात्रि विश्राम करने का निश्चय कर,उचित स्थान की खोज प्रारंभ कर दी। आखिर में उन्हें एक विशाल बरगद का पेड़ दिखाई दिया। दोनो हंस व हंसीनी ने बरगद की ऊंची टहनी पर उतरे। दोनो ने आपस में बातें शुरू की।
हंस: सुनो प्रिये, लगता है यह इलाका सुनसान और वीरान है।
हंसिनी: ऐसे समय में सुनसान जगह में रात को अकेले रुकना उचित नहीं है।
हंस: ईश्वर सब जगह मोजूद है, जहां हरी वहां भय नाहि।
हंसिनी:बात तो आप की ठीक है,परंतु हरी होते हुए भी इस इलाके की वीरांनगी की वजह क्या है।
हंस अपनी पत्नी को की बात का जवाब सोच ही रहा था, उसी समय । उसी बरगद की दूसरी डाल पर बैठा उल्लू बोलने लगा। जब उल्लू ने बोलना बंद किया तो हंस ने अपनी पत्नी से कहा।
सुनो, पता है यह जगह वीरान क्यों है
हंसिनी:आप बताओ।
हंस: इस जगह पर उल्लू बोलते...
हंस: सुनो प्रिये, लगता है यह इलाका सुनसान और वीरान है।
हंसिनी: ऐसे समय में सुनसान जगह में रात को अकेले रुकना उचित नहीं है।
हंस: ईश्वर सब जगह मोजूद है, जहां हरी वहां भय नाहि।
हंसिनी:बात तो आप की ठीक है,परंतु हरी होते हुए भी इस इलाके की वीरांनगी की वजह क्या है।
हंस अपनी पत्नी को की बात का जवाब सोच ही रहा था, उसी समय । उसी बरगद की दूसरी डाल पर बैठा उल्लू बोलने लगा। जब उल्लू ने बोलना बंद किया तो हंस ने अपनी पत्नी से कहा।
सुनो, पता है यह जगह वीरान क्यों है
हंसिनी:आप बताओ।
हंस: इस जगह पर उल्लू बोलते...