...

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तुम बहुत याद आते हो
हर धड़कन हर सांस पर सताते हो
कभी कभी जान बहुत याद आते हो

कुछ गलतफहमी तेरी कुछ मेरा बेहद चाहना
एक लम्हे के लिए तेरा वक़्त किसी और से बाँटना
बस इतनी बात का समझना ना तेरा मै नही सह
पाता था पागल तेरा पल भर भी दूर होना फिर
हुआ वही मेरी अंधी चाहत को मेरे हक को तुम
घुटन समझने लगे मुझे इतना यकीन था तुम पर
तुम्ही गलत समझने लगे मैंने रो रोकर कहा था
की तेरा गलत समझना मुझे ग़लत बनाता जा रहा है
हमारे राधा कृष्ण से पवित्र रिश्ते को खाता जा रहा है
मै समझता था मजबूरी तेरी की माँ पापा की इज्जत के
लिए अपने चरित्र के लिए तुम हमारे रिश्ते को बलि चड़ाओगे
और ये भी जानता हूँ वो साथ बिताए लम्हे कभी तुम भी
भूल नही पाओगे मैंने बस ज़िद करली थी तुमको पाने की
हर हाल मे तेरा साथ निभाने की इश्क़ अंधा है आज भी तुमसे इतना की परवाह नही करता ज़माने की कभी दुबारा मत पूछना नही बता पाऊंगा की वजह क्या है तुझे पागल की तरह चाहने की तु क्या सोचती है की तुझसे दूर हो गया हूँ
अरे किसी को देखा तक नही जिस नजर मे तुम बसते हो
तु कभी तो महसूस कर ये बात होती नही बताने की और माँ ने तेरी चूड़ी, पायल सम्भाल कर रखी है वो हाल देख मेरा यही कहती है बेटा मेरी बहुत इच्छा है उसे अपने हाथ से पहनाने की उसे अपने घर लाने की बहु नही बेटी बनाने की
और कमरे का छोड़ मेरे घर का रंग भी वही है जो तुमने चुना था मुझे आज भी महसूस होती है तेरी आदत अपनी बात मनवाने की हक जताने की ज़िद पे आने की और

बस इस उमीद मे आज भी जिंदा हूँ हालात सुधर जाने की
तेरे मेरे फिर एक बार करीब आने की समझने की एक
दूसरे को समझाने की ज़माने से रहता हूँ दूर तेरी यादों मे
एक सवाल के साथ तुझे क्या थी ज़रूरत पागल हम्म मुझे
भी पागल बनाने की

वो घडी मेरे लिए आज भी सबसे कीमती है साथ रोते रोते
कुछ देर दोनों के ख़मोश हो जाने की
© Guru.d.sharma