सिसकता बचपन
सुबह के 4:20 का वक्त था। मैं अपनी चिर निंद्रा में विभोर था। हालांकि शहरों में ज्यादातर लोग इस समय अपनी मीठी नींदों का आनंद लेने में मस्त रहते हैं। कुछ लोग बाहर टहलने के लिए भी निकले हुए थे। लॉक डाउन का 21 वां दिन था। प्राकृतिक आपदा काल की भांति चारों ओर बाहें फैलाए दौड़ रही थी। अतः सरकार ने लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने का फैसला कर लिया था। मुझे भी खाने और सोने के अलावा कोई काम नहीं था। सहसा जोरों...