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हादसा
हादसा

उन दिनों हमारे प्रेम की शुरुआत ही हुई थी.. हालांकि हम बहुत जल्द परिणय सूत्र में बंधने वाले थे, इसलिये पारिवारिक मर्यादाओं ने हमें मिलने ना दिया.. और उस दिन वो इत्तेफाक हुआ जब सड़क के एक किनारे तुम और दूसरे किनारे पर मैं गुजर रहा था सहसा तुमने मुझे देखा और मेरे तरफ़ ऐसे दौड़े जैसे कितने जन्म से मेरा इंतजार कर रहे थे तुम.. मैंने तुम्हें वहीं रुकने को कहा पर तुम ख़ुद को रोक ना पाये और.. तभी दो घड़ी में...