jingi ke maksad ki khoj
जिंदगी के एक ऐसे मुकाम पर खड़ा हूं जहां पर न कोई मक़सद है और नहीं कोई मंजिल है लेकिन मुझे पता है की मंजिल भी मिलेगी और मक़सद भी मंजिल को पाने के लिए मक़सद होना जरूरी है लेकिन जिन्दगी को जीने के लिए मजिल भी जरूरी है .............................मंजिल को पाने के लिए जुनून जरूरी है और कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी जरूरी है घर को छोड़ता है कोई और कोई अपने परिवार को अपने दोस्तो को छोड़ता है तो कोई अपने बचपन को लेकिन मैने अपने आप कोई छोड़ दिया मंजिल के पीछे भागते भागते न कोई मंजिल मिली न कोई मक़सद हा मिला है लेकिन हा मुझे लगता है लेकिन जिन्दगी भर के लिए जुनून हो तो मक़सद हो या न हो मिल ही जाता और उसे जीवन की एक दसा सीखा ही जाता है हमे पता नही होता की हमे करना क्या है पर धीरे धीरे उसकी उसकी ओर ले जाता है जुनून .....................................पाने की खुशी हो या खोने का गम हम जब ही सीख ते है हम
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