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चीन को भेजनी चाहिए चाइनीज़ में छपी "महाभारत"
चीन एक गिरा हुआ नीच, ढोंगी, और धोकेबाज़ मुल्क हैं ये सच्चाई किसी से भी छिपी नही हैं चीन अपनी विस्तारवादी सोच के कारण सम्पूर्ण विश्व की नज़रों से गिरता जा रहा हैं ये एक ऐसा मुल्क हैं जो दूसरों की जमीनों को अपनी जमीन बताने में माहिर हैं तिबत पर इस चीन ने कब्जा कर रखा हैं होंकोंग पर इस चीन ने कब्जा कर रखा हैं और भारत की 9,999 वर्घ मिल जगह पर इस चमगादड़ चीन ने कब्जा कर रखा हैं 1962 के युद्ध मे हमारी ज़मीन इस चमगादड़ चीन ने धोखे से हत्या ली थी, अब ये चीन ताइवान को भी अपना हिस्सा बता रहा हैं ताइवान में इस चीन ने अपने फाइटर विमान भेजे थे जहाँ से इसके सेना मार खाकर वापस चली आई और ताइवान के प्रधानमंत्री ने ये साफ कर दिया कि हम शांति चाहते हैं परंतु उसका ये तात्पर्य कदापि नही हैं कि हम अपने राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा नही करेंगे अगर दुबारा चीन ने ऐसी गुस्ताखी की तो उसे बोहोत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

यहां हिंदुस्तान में भी कई दिनों से चीन ने जीना हराम कर रखा हैं जानबूझकर बॉर्डर पर अपनी सेना को बढ़ा रहा हैं हज़ारो की संख्या में सैनिक तैनात कर रहा हैं और वो आधुनिक हत्यारो से लैस, चीन एक तो पूरी दुनिया को कोरोना जैसी भीषण महामारी दे चुका इसी के एक राज्य वुहान की लैब से ये कोरोना वायरस निकला हैं जिसके कारण आज भारत समेत पूरा विश्व इस वैश्विक महामारी कोरोना से जुंझ रहा हैं अमरीका तो सबसे ज्यादा इस चाइनीज़ वायरस का शिकार हुआ हैं इसीलिए अमेरिका भी भारत की ही भांति चीन को अंतरराष्ट्रीय मंचो पर घेर रहा हैं या फिर घेरने की पूर्ण तैयारी कर चुका हैं यहां रूस,इस्राएल, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया, ईरान,सऊदी अरब,यूएई, ब्रिटेन ये सब बड़े मुल्क चीन को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हुए इसका सीधा सा मतलब ये हैं कि अगर इस बार चीन ने जरा सी भी गुस्ताखी करने की हिमाकत करी तो नक्शे से उसका नामो निशान मिटना तय माना जा रहा हैं, और वहां चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की उनके मुल्क में इज़्ज़त दिन प्रतिदिन समाप्त होती चली जा रही हैं चीन के लोग भी अब शी जिनपिंग के खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं।

चीन पूरी दुनिया मे अपनी विस्तारवादी सोच के लिए जाना जाता हैं भारत के प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी जब गलवान घाटी में सैनिको का हौसला बढ़ाने अचानक पोहोच गए थे तब उन्हीने चीन को साफ शब्दों में कहा भी था कि अब समय विस्तारवाद का नही बल्कि विकासवाद हैं पूरी दुनिया अब विस्तारवाद के खिलाफ खड़ी होने लग गयी हैं लेकिन चीन को कहा इतनी समझ हैं वो तो अब भी एलएसी पर अपनी पीएलए को बढ़ाकर कर भारत को अपने सैनिकों के संख्या बल से डराने की कोशिश कर राह हैं इसलिए मैंने आज अपने लेख का शीर्षक दिया हैं कि चीन को चाइनीज़ में लिखी हुई महाभारत भारतीय विदेश मंत्रालय को भिजवानी चाहिए ऐसा मैंने क्यूँ कहा इसके पीछे का कारण हम सब बोहोत अच्छे तरीके से जानते हैं।

महाभारत में भी कोरोवो के पास भीषण संख्या बल हैं ऐसा माना जाता हैं कि कौरवों के पास 11 अक्षुणि सेना थी और उसके साथ ही कई महारथी भी थे जैसे भिष्म पितामह,महागुरु द्रोणाचार्य, महारथी कर्ण और उधर उनके सामने पांडव केवल 5 थे उनके पास कौरवों के मुकाबले सैन्य बल भी बेहद कम था ऐसा माना जाता हैं कि पांडवो के पास केवल 5 अक्षुणि सेना थी लेकिन इसके बावजूद भी पांडवो की जीत हुई और कौरवों की हार ऐसा आखिर क्यूँ हुआ ऐसा इसलिए हुआ क्यूंकि पांडव सत्य,धर्म की लड़ाई लड़ रहे थे और कौरव ठीक इसके विपरीत उसी भांति भारत भी चीन के आगे पांडवो की भूमिका में खड़ा हैं और चीन कौरवों की।

युद्ध हुआ तो चीन की हार पक्की हैं!

सत्यमेव जयते!

जय हिंद🇮🇳

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© Siddharth_Lohia