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भोर की कविता
आज सुबह नींद किसी अलार्म से नहीं बादल की गरज और बरसात ने खोली। यूं तो ये कल शाम से ही गरज- दमक रहा था पर बारिश भोर की पहली किरण अपने साथ ले कर आई। आंख खुलते ही...