...

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zindagi ka safar
आहिस्ता चल ज़िंदगी ,
अभी कुछ कर्ज चुकाना बाकी है

कुछ दर्द मिटाना बाकी है ,
कुछ फर्ज निभाना बाकी है

रफ़्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए हैं कुछ छूट गए हैं
रातों को मनाना बाकी है, रातो को हसाना बाकी हैं

कुछ हसरतें अधूरी है,
कुछ काम जो बहुत जरूरी है

ख्वाहिश जो घुट गई
इस दिल में उनको दफनाना बाकी है

कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए

उन टूटे रिश्तों के
ज़ख्म मिटाना बाकी है

तू आगे चल में आता हूं पीछे
क्या छोड़ तुझे जी पाऊंगा

इन सांसों पर हक है जिनका
उनको समझना बाकी है

आहिस्ता चल ज़िंदगी ,
अभी कुछ कर्ज चुकाना बाकी ..........