...

35 views

पराया-धन
पराया-धन ही कहलाई गई बेटियाँ
ये तो सब जानते है ।पर क्या ये जानते है की हर बार उसे कहते रहने से वो खुद को कभी
साबित नही कर पाई ।किसी और की अमानत मानते हुए सिर्फ अपना घर खोजती रही ।
यह कहानी भी है एक बेटी की जो इन घरों में खुद को खोजती रही। उसका नाम था रेणू।रेणू का जन्म एक मध्यम वर्गीय कुटुंब में हुआ पर वह बचपन से ही बडी मेहनती थी ।उसका सपना था एक पुलिस अफसर होने का पर घर की जिम्मेदारी संभालते हुए उसे बीच में ही पढ़ाई छोडनी पड़ी ।सब ने उसे यही बोला की पढ़ाई करके क्या करना है शादी के बाद घर-काम ही
करना ही ।इस तरह उसके सपनें मिट्टी में मिल गए ।काश वो थोड़ी हिम्मत कर पाती और कहती की मुझे पढ़ना है पर वह न कह पाई वह डरती थी लोग क्या सोचेगे पर जीवन यह उसके अस्तित्व का था ये वह नही समझ पाई ।
एक दिन उसकी शादी हो गई। उसने सोचा अब मेरे सपनों को समझने वाला कोई होगा जो मेरा साथ देगा मेरे पंखो में उड़ान होगी कामयाबी की पर शादी के बाद तो उसके जीवन को मुसीबतों ने घेर लिया था।शादी की कुछ महिनो बाद ही
उसके ससुराल के लोग उसपर अत्याचार
करने लगे ।वह अपने मायके वालो को भी कूछ बता नही पाई और जुल्म सहती रही।
रेणू अब जुल्म सहते हुए दिल को खाती रही काश में थोड़ी हिम्मत कर पाती और मै अपना जीवन सँवर पाती ।रेणू को आवश्यकता थी समय पर उसे अपने घर में सहायता की जो उसे मिल नही पाई अपने मायके मे ।पर उसने चुना घुट घुट कर जीना।
कल किस ने देखा है अपना भविष्य खुद को ही बनाना होता है उसके लिए जरुरत है आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की साहस कर अपना जीवन बदलने की आशा है की और कोई रेणू न बने जिसका जीवन सिर्फ दो घरों के बीच में सीमित था।

सार -- आधुनिक युग में लड़कियो ने अपने आप को साबित कर दिखाया है पर आज भी ग्रामीण भाग में लड़कियाँ की यही कहानी है
सब ने यही सोच रखनी चाहिए की बेटियाँ
एक होकर भी दो घर रोशन करती है ।उसे उचित सम्मान देना चाहिए जिसकी वह हकदार है।


@piyu --