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राम चरित्र 02 (सत्संग की महिमा)
राम चरित्र 02
(सत्संग की महिमा)
एक समय की बात है कहा जाता है कि भरद्वाज मुनी हमेशा प्रयाग में ही रहते हैं। माघ मास यानि जनवरी महीने में सभी संत, महात्मा, साधु लोग मकर नहाने संगम पधारते हैं और 1 महिना वही आश्रम में सत्संग करते हैं।
याग्यवलक मुनी भी मकर नहाने भरद्वाज मुनी के आश्रम पधारे और जब वहाँ से जाने लगे तो भरद्वाज मुनि सत्संग करने की इच्छा से याग्यवलक जी के पैर पकड़ लिए और उन्हें रोक लिया।
भरद्वाज मुनी कहते हैं...हे ब्रह्मज्ञानी साधु, आपके संगति का अवसर प्राप्त हुआ है ये सौभाग्य है हमारा। हमारी कुछ संशय है कृपा करके उन्हे दूर करें प्रभु🙏
याग्यवलक जी कहते है... क्या संशय है आपको मुनिश्रेष्ठ??
भरद्वाज मुनी कहते हैं... हमें राम जी के बारे में संशय है। मैं किस राम का भजन करूँ... एक राम हैं जिनको भगवान शंकर भजते हैं और एक राम वो हैं जो अवध के रहने वाले है, दसरथ के पुत्र है और सीता जी के वियोग में रावण को मार डाला था।
याग्यवलक जी मुस्कुराते है और कुछ क्षण के बाद बोलते हैं, हे मुनिश्रेष्ठ मैं आपकी महिमा को जानता हूँ... आप रामकथा के रसिक है इसलिए ऐसे विनोद भरे प्रश्न कर रहे हैं।
रामकथा कलियुगी मनुष्य के सभी पापों को मिटाने वाली है इसलिए हे मुनिश्रेष्ठ इसे ध्यानपूर्वक श्रवण करें।
ऐसे ही संसय माता सती को हुई थी... उसपर भगवान शंकर ने जो कहा था वही मैं दोहराता हूँ।
एक बार त्रेतायुग में भगवान शंकर समाधि से जागे और उन्हे रामकथा सुनने की इच्छा हुई तो वे सती समेत अगस्त्य ऋषि के पास गए।
अगस्त्य ऋषि ने उनका पूजन कर उन्हें उच्च आसन दिया और प्रेमपूर्वक कथा सुनाई। दक्षिणा के रूप में शंकर जी से उन्होंने नवदाभक्ति माँग ली, शंभु भगवान अगस्त्य ऋषि को नवदाभक्ति का अधिकारी जान उन्हे नवदाभक्ति प्रदान की और उनसे विदा लेकर वहाँ से चल दिए।
मन ही मन वो सोचने लगे काश जिनकी कथा सुनकर आये हैं उनका दर्शन मिल जाए। तभी लीला करने हेतु सीता जी की खोज में राम जी जंगल - जंगल भटक रहे थे। उनको देखते ही, वो मन ही मन प्रसन्न हुए, उनसे मिलने की इच्छा तो हुई पर राम जी का भेद ना खुल जाए इसलिए अपने आप को रोक लिया।
किंतु यह सारा दृश्य देखकर सती को बड़ा आश्चर्य हुआ, वे सोंचने लगीं... आज तक हमें देखकर कभी आप प्रसन्न तक नही हुए। ये कौन हैं जिनको देखर आपकी प्रसन्नता की कोई सीमा नही रह रही।
इसपर शंकर जी ने माता सती से कहा... हम जिनकी कथा सुनकर आये हैं ये वही अविनाशी राम हैं। तभी सती को संशय हुआ कि जो ब्रह्म है, जिसकी शक्ति की कोई सीमा नही है वो इस तरह एक स्त्री के ढूँढने हेतु कामी...