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तूफान ( सच्ची घटना पर अधारित)
कुछ बच्चे बाहर खेल रहे थे कि  अचानक बादल गरजा ओर हवाएँ चलने लगी । रिया की मम्मी मे बच्चो को अवाज दी।

सभी बच्चे अपने अपने घर जाओ मौसम खराब है।
सभी बच्चे वहाँ से  चले गए साथ ही रिया ओर समीर भी अन्दर आये ही थे कि  हवाओ ने एक बडे तूफान का रूप ले लिया था। पूरा दोपहर का समय काली रात मे बदल गया था।


वो तूफान आज भी उन बच्चों के दिल को दहला देता है।
कच्चा घर होने की वजाह से कई घर टूट के बिखर गये थे।

साथ ही बारिश ओर औले भी पड़ रहे थे। रिया बहुत डरी  हुई थी ।  समीर भी रोने लगा। मम्मी ने दोनो बच्चो को गले लगाया।
उनका घर भी पूरा हिलने लगा था पूर्वी हवाओ का रुख उनके घर को गिरा ने की पूरी कोशिश करने लगा।


तभी समीर के पापा ने देखा की घर से कुछ लकड़िया टूट कर गिरने लगी थी। उन्होने सबको बाहर चलने को कहा ।
बाहर तो पहले ही बहुत औले पड़ रहे थे।


फिर भी सारा परिवार बाहर आ गया। ओर उन पर औले पड़ने लगे औलो की मार बच्चो को लगातर रुलाये जा राही थी ओर माता पिता दोनो बेबस थे ।

ओर शायद पूरी बस्ती का यही हाल था।

तभी समीर के पापा को एक तर्कीब सुझी उन्होने पास पडी चारपाई उठाई ओर बच्चो को उसके नीचे कर दिया ।
बच्चे ठंड से कापने लगे ।

लेकिन यह एक नाकाम कोशिश साबित हुई। चारपाई को भी हवा का एक बडा झोंका अपने साथ उदा ले गया।
ओर छोटे छोटे पत्थर भी उड कर उनको लगने लगे थे।

बच्चे लगातर रोए जा रहे थे उन्हे ही नही बाकी सबको भी यही लग रहा था की आज उन  सबका आखरी दिन है।


आखिर कार 2 या 3 घन्टे के बाद शायद भगवान को उन सब पर तरस आया। तूफान कुछ कम हुआ। रिया ओर समीर का घर कुछ ज्यादा नही टूटा था। सभी अन्दर ग्याए ओर मम्मी ने बच्चों के कपडे बदले ओर फिर सबने चैन की साँस ली।


तभी बारिश थमी मौसम खुला तो सब बाहर
लेकिन उस तूफान मे रिया के घर के अलावा एक दो घर कुछ ठीक थे, वरना उस तूफान ने पूरी बस्ती को शमसान
बना दिया था ।कईयों के घर टूटे थे तो कईयों ने अपनो को खोया था।
वो दोपहर एक डरावनी रात मे बदल गई  थी।
(एक सच्ची घटना)

-मनीषा क्षेत्री


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