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परिष्कार
कई बार अपनी शांति और सम्मान की राह में सबसे बड़े रोड़े आप खुद ही होते हैं। आपकी तुनक मिजा़जी,आपकी झूठ बोलने की आदत, आपकी हर बात में कमी निकालने की आदत, आपकी बेवजह रोकने टोकने की आदत, सबको अपने नियंत्रण में रखने की इच्छा, बदलते हुए समय को पूरी तरह अनदेखा करना, दूसरों के मान-सम्मान का, उनकी इच्छाओं का, उनकी ज़रूरतों का बिल्कुल भी ध्यान ना रखना, सिर्फ अपनी ही दुनिया में जीना आपको एक अहम से भरा हुआ स्व केंद्रित व्यक्ति बनाता है। प्रेम, सम्मान और शांति द्विपक्षीय प्रक्रिया है। यदि आपका मन निर्मल होगा तो उनके लिए रास्ता अवश्य बनेगा। इसीलिए हर समय दुनिया को दोष देते रहने से अच्छा है कि कभी-कभी खुद का भी मूल्यांकन कर लिया जाए,इसीलिए हमारे शास्त्रों में ज्ञान-ध्यान को महत्वपूर्ण माना गया है। ज्ञान सिर्फ प्रवचन सुनने से, किताबें पढ़ने से नहीं आता। उसमें कही हुई बातों को अपने जीवन में उतारना भी पड़ता है अन्यथा वह सिर्फ जानकारी बनकर रह जाता है और ध्यान हमारे मन को संयमित करता है। इसीलिए स्व-केंद्रित नहीं आत्मज्ञानी बनिये। जीवन में प्रेम,शांति और सम्मान बनाए रखने के लिए आत्मावलोकन से अच्छा उपाय और कोई नहीं है। बाद में पश्चाताप करने से अच्छा है कि अभी अपने व्यक्तित्व की त्रुटियों का #परिष्कार कर लिया जाए।

शुभ-प्रभात☕️ 💐
आपका दिन मंगलमय हो 🙏🏾

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