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Nikku Chapter no.8
निक्कू कैसी हो,बहोत व्यस्त लग रही हो,ह रिशव से बात कर रही होगी,निक्कू उस समय पर अपने दोस्त से बात कर रही थी नकुल जो कि उसका बचपन का दोस्त था तो उस समय वो उस से बात कर रही थी पर मुझे लगा कि ,खैर कोई बात नही,मन का वहम हर इंसान मैं होता है।
मुझे लगा कि तुम संदीप या रिसव से बात कर रही होगी निक्कू अचानक चॉक गयी और उसने पूछ दिया तुम संदीप को कैसे जानते हो,मैं भी नाटक करने लगा ओर बोला कि मुझे सपने मैं पता चला कि तुम उससे बात कर रही हो
निक्कू बोली चल नाटक मत कर ओर सच सच बता कैसे पता चला कि मैं संदीप से बात कर रही हु,मैंने भी मैं नही बताऊंगा निक्कू बोली बताओ न कृप्या कर के बताओ न निक्कू मुझसे निवेदन करने लगी कि बता दो पर मैं इतना जल्दी मानने वाला थोड़ी था,मैंने उससे बोला कि पहले मुझे खुस करो तब मैं बताऊंगा,निक्कू ज़िद करने लगी कि बता दो पर मैं नही मान रहा था अच्छा निक्कू एक बात बोलो निक्कू बोली हा पूछो
मैंने बोला कि मेलोडी इतना चॉकलेटी क्यों है?
निक्कू गुस्सा गयी ,निक्कू आखिरी मैं हार गई वो खुद बोल दी कि संदीप न रिसव का भाई है
मैंने पूछ लिया अपना तो वो बोली नही चचेरा भाई मैंने बोला ठीक है और बताओ कुछ निक्कू अपने बारे मे वो बोली पूछो वेसे निक्कू तुम बिहारी हो न निक्कू बोली ह मैं बिहारी हु तो फिर मैं पूछा कि तुम बिहारी हो तो मध्य प्रदेश मे कैसे कुछ समझ नही आया तो उसने बताया कि उसके पापा डिफेंस मैं है तो एक जगह रह नही पाते
ओर निक्कू सासाराम की थी तो वहा बस प्रथम वर्ष तक पढ़ाई की उसके बाद निक्कू के पापा उसे ग्वालियर ले आये और निक्कू फिर यही रह गयी ।
मेरे ओर निक्कू मैं एक ओर अच्छी बात थी कि हम दोनों बिहारी थे,कभी कभी ऐसा होता था कि निक्कू से मैं भोजपुरी मैं भी बात करने लगता था।
एक दिन की बात है निक्कू को मेरे पे बहोत प्यार आ रहा था ,मेरी तारीफ कर रही थी बोल रही थी कि तुम मेरे क्रश हो ओर तुम्हारी बातें मुझे बहोत अच्छी लगती है तुम बहोत अच्छे हो।
तो मैं भी उसकी तारीफ करने लगा उसे बोला ए हो करेजा तू न बहुत ब्यूटीफुल हो,,
निक्कू को भी बहोत हसी आ रही थी
बोल रही थी आज इतनी प्यारी प्यारी बातें।
मैं भी भोजपुरी मैं उसकी तारीफ किये जा रहा था
सुनो न ए हो करेजा हमरा तू बरी सूंदर लागेलु
निक्कू बोली चल झुटा नइखे जान सच कहत बानी साचो कहत आनी.तू हमरा के बहोत सूंदर लागेलु तहर आँखि हिरनी के जइसेन लागत आ ..कमरिया कटरीना की तरह ..बाल मोरनी के पंख जइसेन ,का कही ए जान तू त लागेलु एक नंबर ,,ताहरा जइसेन केहू न। निक्कू हसने लगी,मैंने बोला इ देखा ऐसे हसल न करा,नई ता हम चापाकल मैं कूद के जान दे देब,
ये सुन कर वो इतना हँसी की उसकी हँसी से भी मुझे मोहब्बत हो गयी थी उसी समय ,एक ये भी सही था कि उसके हँसी उसकी खुसी के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार था।
अच्छा निक्कू सुनो
अगर लिखूँ कभी कहानी तुम्हारी
तेरे ज़िक्र से शुरू करूँ तेरे नाम पे तमाम कर दूँ
क्या करूँ बहुत खुद्दार सा दोस्त हूँ तेरा
वरना खुदा से माँग लूँ तुझे और अपने नाम कर लू
जब ये शायरी निक्कू को भेजा उसे बहोत अच्छा लगा, उसी समय से मेरी मोहब्बत की शुरुवात तो हुई थी पर लहजा था,कि मोहब्बत दोस्ती तक ही थी,मैं उससे आगे भी नही बढ़ना चाहता था
बस यही सब बात होते रहती थी हम दोनों के बीच हँसी मजाक तो हमेसा होती ही रहती थी।