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वो घटना...😱 भाग - 2
जैसे जैसे गांव की सड़क पर गाड़ी दौड़ रही थी वैसे ही मन की आतुरता और सबसे मिलने की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी, क्योंकि काफ़ी लंबे समय से सबसे मिलना नहीं हो पा रहा था। कुछ ही देर में मेरा गांव आ गया और ड्राइवर को किराया देकर अपना सामान उतारा और चल दिया अपने घर की तरफ़। सबको देखकर होंठों के साथ मन भी खुश हो रहा था। अभिवादन कुशल मंगल पूछकर सबके पैर छुए। और छोटी ताई ने पानी का गिलास दिया, गांव के वो प्राकृतिक स्रोतों से निकला वो ठंडा और मीठा पानी आज भी बहुत याद करता हूं, एक गिलास पीकर ही मन और चित्त दोनों ही तृप्त हो जाते हैं। एक दो दिन तो गांव घूमा और अपने बचपन के मित्रों से भी मिलना हुआ। एक दिन दोपहर के समय करीबन ढाई बजे होंगे और मैं खाना खाकर ऊपर वाले कमरे में जा रहा था और जो सड़क हमारे घर से आराम से दिख जाती थी, पर नज़र पड़ी। जिसमे एक गाड़ी जा रही थी जिसकी छत पर सफ़ेद कफ़न में लिपटी हुई एक लाश थी जो चारों तरफ से काफी अच्छी तरह से लिपटी हुई थी। वो देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए क्योंकि मैंने आज तक ऐसा कभी कुछ देखा नहीं था और मैं घबराकर अंदर कमरे में भाग गया और मैं पसीने से तर ब तर था, डर भी लगने लगा था उम्र ही मेरी 21 साल थी। उस दौरान दिन में कुछ आराम कर रहे थे और कुछ अपने घर के काम में व्यस्त थे और मैं ये बात किसी से ना कह पाया। दिन में तो चलो कोई बात नहीं पर परेशानी मुझे रात में होती थी क्योंकि मैं रात में बहुत प्यास लगती थी और मैं बाहर भी बहुत ज़्यादा जाता था। इसलिए रात में डर ज़्यादा था।

शेष कहानी अगले भाग में....

© विकास - Eternal Soul✍️