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दो दिलों का प्यार ( भाग-17 )
प्रेम अंजलि से कहता है, अभी तुम्हें आराम की जरूरत है, ज़्यादा मत सोचो और तुम्हारे मन में जितना सवाल है उसके जवाब तुम्हें जल्द मिल जाएंगे। प्रेम उसे भरोसा दिलाते हुए कहता है। पर कहीं न कहीं प्रेम भी जानना चाहता है इसके बारे में, वो कमरे से बाहर निकलकर अंजलि के पेरेंट्स के पास जाता है, पर प्रेम कुछ बोल पाता उससे पहले अंजलि के पापा प्रेम को शुक्रिया बोलते है उन्होंने जो कुछ भी अंजलि के लिए किया। नहीं अंकल ऐसी बात नही है, अब आप लोग भी मेरे परिवार का हिस्सा है तो ऐसे में मेरा फर्ज़ बनता है कि में अपनों का ध्यान रखूं, प्रेम कहता है। अंकल में अंजलि को पसंद करता हूं.... अंजलि की मम्मी मुस्कुरा कर कहती है, ठीके बेटा, मैंने देखा तुम अंजलि की कितनी फिक्र कर रहे हो, ऐसे में अंजलि के लिए और कोई दूसरा अच्छा इंसान नही मिल सकता, अगर तुम दोनों एक दूसरे को चाहते हो तो हमारे तरफ से कोई शिकायत नही है। ये सुनकर प्रेम की खुशी साफ उसके चेहरे पर झलक रही थी। और साथ में अंजलि के पेरेंट्स भी खुश नजर आ रहे थे। अगली सुबह डॉक्टर अंजलि को डिस्चार्ज कर देते है। अब अंजलि पूरी तरह ठीक होकर घर पर मौजूद रहती है और प्रेम अंजलि को by बोलकर वो अपने घर के लिए निकल जाता है। जैसे मैंने शुरुआती कहानी में कहा था कि अंजलि थोड़ी शरारती किस्म की है , प्रेम जब भी उसके साथ रहता हँस हँस कर वो खुद भी पागल हो जाया करता था, अंजलि का व्यवहार प्रेम को हर सूरत में अच्छा लगता था। हालांकि प्रेम ने अंजलि की बीमारी का इलाज करवाने के लिए डॉक्टर ने दो सप्ताह का समय दिया है,

To Be Continued......