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कुनबा- 1.3 गुस्सैल लौंडिया की करतूत
घोंगा:-अपनी लौंडिया को सम्भालो पहले। मेरा घर उसका कोठा नहीं है। जब देखो मुह उठा के चली आती है लौंडे घुमाती हुई। अलग मोगड़े पैदा कर रखे हैं तुमने भी।

शर्माजी:- सुन ले पंडतायन अपनी लाड़ो की करतूत। पूरे परिवार का नाम मूत में मिला ले रख दिया है इस कुलच्छनी ने। सुसरा एक आदमी नहीं बचा पूरे मुरादनगर में जो उसका उल्हाणा...