अनपढ़ "मां"
अनपढ़ मां मेहनत मजदूरी करके अपना बेटा
अच्छि पढ़ाई-लिखाई करके बढ़ा अफसर बने
यह ख्वाहिश पुरी करने दिन-रात एक करते करते अनपढ़ मां अपने बेटे को अंग्रेजी बोलने लिखने के वास्ते काॅनव्हेंट स्कूल में पढ़ाने के लिए एक एक पैसा जुटाकर स्कूल कि फिस भरती रुखी सुखी रोटी खाकर कभी कभी तो भुखे पेट काम करते हुए अपने बेटे को अच्छा खाना खिलाया करती थी और अच्छे कपड़े पहनने तथा पढ़ने किताबों के लिए पैसों का इंतजाम करती और खुद फटे कपड़ों में अपनी इज्जत बचाने जरूरत ही कपड़े पहनकर गुजारा करती थी कभी भी उसने अपने बेटे को गरिबी का एहसास नही होने...
अच्छि पढ़ाई-लिखाई करके बढ़ा अफसर बने
यह ख्वाहिश पुरी करने दिन-रात एक करते करते अनपढ़ मां अपने बेटे को अंग्रेजी बोलने लिखने के वास्ते काॅनव्हेंट स्कूल में पढ़ाने के लिए एक एक पैसा जुटाकर स्कूल कि फिस भरती रुखी सुखी रोटी खाकर कभी कभी तो भुखे पेट काम करते हुए अपने बेटे को अच्छा खाना खिलाया करती थी और अच्छे कपड़े पहनने तथा पढ़ने किताबों के लिए पैसों का इंतजाम करती और खुद फटे कपड़ों में अपनी इज्जत बचाने जरूरत ही कपड़े पहनकर गुजारा करती थी कभी भी उसने अपने बेटे को गरिबी का एहसास नही होने...