जीवंत
आज सुबह उठते ही मुझे अपने दादा-दादी याद आए। यूँ तो बहुत अधिक यादें नही हैं पर हाँ कुछ मीठे पल बीते थे उनके साथ।
मम्मी बताती हैं मेरे जन्म पर सबसे ज़्यादा खुश दादा ही थे क्योंकि मैं उन्हें रूई की गुड़िया लगती थी।
सुनने में अजीब है पर बचपन में जब भी वो घर आते थे, मैं उनकी गोदी में बैठकर उनकी बड़ी-बड़ी मूँछो से खेला करती थी। वो डाँटते पर उनकी प्यार वाली डाँट मुझ पर बे-असर थी।
वो साधारण सा धोती-कुर्ता पहन कम...