अवलोकन
रोज की तरह
मै उनसे बाते कर रही थी...
और वो हमेशा की तरह उलझें हुए थे खुद मे
पुरुष क्यों स्त्री के मन के भाव नहीं समझता
वो उसे पा लेने की लालसा मे
उसे खोने लगता है
और स्त्री उसकी ओर,
आस से देखती रहती है...
और...
मै उनसे बाते कर रही थी...
और वो हमेशा की तरह उलझें हुए थे खुद मे
पुरुष क्यों स्त्री के मन के भाव नहीं समझता
वो उसे पा लेने की लालसा मे
उसे खोने लगता है
और स्त्री उसकी ओर,
आस से देखती रहती है...
और...