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गलत रास्ता
घूमने का शौक सभी को होता है, ऐसे ही मुझे भी रहा है, ये कहानी कुछ सत्य घटनाओं पर आधारित है ।
सर्दी के मौसम में कुछ मित्रों के साथ घूमने का प्रोग्राम बना । हम पांच मित्र घर से सुबह समय से निकल कर एक जगह इकठ्ठा हुए और आगे पहाड़ों की तरह जाने का मन बनाया । हम निकल गए कुछ मित्र पीछे थे कुछ आगे थोड़ा आगे । उत्सुकता में सभी खाली पेट आये। थोड़ा चलने पर सभी को भूख का एहसास हुआ और रास्ते में इधर उधर ढूँढने पर केले दिखाई दिये शायद एक एक केला ही मिला सभी को ऊपर से बंदर पहले ही घात लगाए बैठे थे बंदरों ने एक दम से झपटा मारा और सब केले साथ ले गए । एक केले से कुछ तो सहारा लगा । फिर आगे की ओर बड़े। एक रास्ता नया था एक पुराना । नया रास्ता ऐसा था जैसे अभी कुछ दिन पहले ही बनाया हो । कुछ मित्रों ने नया रास्ता और कुछ ने पुराना रास्ते पर जाने को कहा लेकिन कुछ का मानना था शायद यह कोई शॉर्ट कट हो सकता है क्यूँ नही इस पर चल कर जल्दी पहाड पर चढ़े और धूप का आनंद लिया जाए ।
हमारा पहाड पर चढ़ने का रास्ता एक ढलान के साथ शुरू हुआ जहां तरह-तरह के पेड़ और फूल और हमारे साथ साथ एक नदी बह रही थी। थोड़ा आगे जाने पर सभी को नदी में जाने का रास्ता मिला । अब सबका ध्यान पहाड़ की जगह कम नदी की ओर जायदा था । जैसे तैसे नीचे उतरें ओर नदी किनारे आ गए । वहां पर आती धूप और पहाड़ों से आता पानी देख वही रुकने का मन बना । कोई पत्थरों का पहाड़ बनाने लगा कोई नदी में मछली पकडने की तरकीब सोचने लगा तो कोई रेत में अपना नाम लिखने लगा । मानो ये सब एक सपने जैसा था।
समय की कमी और धूप जल्दी ढ़लने की वजह से दोबारा पहाड़ी पर जाने को एक जुट हुए क्योंकि जाना तो वहीँ था।
मौज मस्ती के बाद दोबारा वापिस वही आए जहाँ से दो रास्ते थे । तरोताजा होने के बाद एक नए जोश के साथ सफर फिर शुरू किया । सभी लोग आगे बड़े कुछ तो बंदरों का डर था जो वहां पेड़ पर लटक कर एक पेड़ से दूजे पेड़ तक जा रहे थे। आगे जाने पर एक मित्र का ध्यान अजीब सी चीज पर गया। उसने सभी को इकट्टा किया और वो नजारा दिखाया। सांप अक्सर ऐसा करते हैं नई चमड़ी आने पर पुरानी को वही छोड़ जाते है । जैसे तैसे वहां से ध्यान हटा हम आगे बड़े सभी के कदम लड़खड़ा रहे थे एक दूजे का हाल पूछ रहे थे और दिलासा दे रहे थे। बस पहुंच ही गए लेकिन अभी आधा ही सफर हुआ था ।
रास्ते में बैठ और प्रकृति को देख होंसला बनता था जो आगे बड़ने को मजबूर करता था । अभी ओर उपर जाना बादलों को छुने जैसा लग रहा था । कुछ लोग और भी आ जा रहे थे जो हमारी तरह ही धूप का आनंद लेने निकले थे
रास्ते में पानी की टंकी देख सभी ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की । लेकिन सभी को नसीहत दी गई कोई गलती से भी जायदा पानी मत पिये । पानी पीने के बाद थोड़ा आराम फरमाया गया । वही से कुछ प्रकृति से बातचीत की गयी और एक दूजे को होंसला देते हुए फिर सभी आगे बड़े । अब मंजिल पास थी ज्यों त्यों कर हिम्मत बड़ी और सब धीरे धीरे करते पहाड़ी के उपर आ गए । सभी ने खुशी की साँस ली । पहाड़ी से नीचे का दृश्य मनोरम था । लेट कर उपर आसमान में देखना स्वर्ग से कम ना था । बादल भी बनने लगे थे जल्दी अंधेरा होने की वजह से हम समय से नीचे उतर आये । वापसी के समय रास्ते में चाय और पकौड़े जिसने थकान को दूर करने में मदद की। फिर एक एक करते हम सभी अपने घरों को वापिस आ गये। जैसे ही घर आये साथ ही बरसात आने लगी समय पर पहाड़ों से वापिस आना सही निर्णय था । जो रास्ता शॉर्ट कट लिया था वो दरअसल पास में एक गांव जाने का रास्ता था ।

©vv1