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मोहब्बतें या भ्रम जाल (भाग 7)
छोटी की आवाज सुनते ही सब लोग छोटी के पास पहुंचते पूछते है छोटी क्या हुआ तो छोटी कहती है कि किसी ने फोन पर बताया कि भैया सिटी हॉस्पिटल में एडमिट है,और 2 दिन पहले उनका भयानक एक्सीडेंट हो गया है तब यह सुनकर सब डर जाते हैं और जल्दी से सिटी हॉस्पिटल की तरफ पहुंचते हैं वहां पहुंच कर पता लगता है कि अविनाश 2 दिन पहले ट्रक से एक्सीडेंट हो गया है,और उसके सर पर काफी चोट लगी है,लेकिन उसके रिश्तेदारों के ना मिलने के कारण,
उसका अभी तक ऑपरेशन नहीं हुआ है उसके सिर में खून का जमाव हो गया है और उसका तुरंत ऑपरेशन करना जरूरी है
अगर उसका जल्दी ऑपरेशन नहीं किया गया तो वह कोमा में जा सकता है। कैलाश सिंह जी और इंद्र में पैसों का इंतजाम करते हैं। डॉक्टर ऑपरेशन करने के लिए कहते हैं। डॉक्टर मुकेश के ऑपरेशन के बाद उन लोगों को बताते हैं,कि मुकेश का एक्सीडेंट काफी खतरनाक था यह मुकेश की किस्मत अच्छी थी कि वह सही समय पर हॉस्पिटल लाया गया,लेकिन उन लोगों के ना मिलने के कारण उसके ऑपरेशन में समय लग गया। उसके हाथ व पैर पर फैक्चर ऑपरेशन के बाद अब सही है, लेकिन सिर में जो खून का जमाव था वह तो सही कर दिया गया है फिर भी उसके बाद मुकेश के कोमा में जा सकता है या फिर उसकी याददाश्त भी खो सकती है दोनों ही स्थितियां हो सकती हैं,इसलिए मुकेश के लिए 24 घंटे बहुत महत्वपूर्ण है ।सभी के लिए 24 घंटे बड़ी मुश्किल से कटते हैं। 24 घंटे के अंदर मुकेश में कोई भी हरकत नहीं होती,लेकिन 4 दिन बाद मुकेश को धीरे-धीरे होश आ जाता है।वह सब लोगों को देखता है और किसी को पहचानता है या नहीं। यह डॉक्टर टेस्ट के बाद बताने के लिए कहते हैं। डॉक्टर उनकी फैमिली मेंबर से कहते हैं हमने टेस्ट तो कर लिया है टेस्ट में सब सही है लेकिन इन्हें सब कुछ याद है या नहीं उनके बोलने के बाद पता लगेगा। अगर उसे कुछ भी याद नहीं हुआ तो तब डॉक्टर बोलते हैं ऐसा नहीं है कई बार इस तरह के केस में पेशेंट भूल जाते हैं लेकिन धीरे-धीरे याद दिलाने पर उन्हें सब याद आ जाता है ।


इंदर मुकेश के पास जाकर बैठता है। मुकेश धीरे-धीरे आंखें खोल कर उसे देखता है और पूछता है। तुम कौन हो? तब वह बोलता है-"भैया क्या आपको मैं याद नहीं हूं।"

"क्या मैं तुम्हारा भाई हूं "

इंदर की आंखों में आंसू आ जाते हैं,और वह डॉक्टर को यह सब बताता है।डॉक्टर बोलता है। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है ऑपरेशन तो सफल हुआ है।उन्हें याद आ जाएगा। आप लोग उनके ऊपर ज्यादा जोर ना दें। मुकेश के मम्मी पापा से मिलते हैं,और कहते हैं "मुकेश मैं तुम्हारा पापा यह तुम्हारी मम्मी है तुम हमारे बेटे हो। तुम्हरा छोटा भाई इंदर उसकी पत्नी और उसका बेटा तुम्हारी छोटी बहन चंचल है और यह तुम्हारी वाइफ शिखा है।

मुकेश शिखा की तरफ देखता है पूछता है "यह मेरी पत्नी है" पापा बोलते हैं "हा"
अब वह ज्यादातर शांत रहता है कुछ बोलता नहीं लेकिन जब धीरे-धीरे उसके जख्म भरने लगते हैं तो उसकी हॉस्पिटल से छुट्टी कर देते हैं। घर आकर मुकेश के सारे काम शिखा ही करती है।
मुकेश शिखा से "तुम मेरी पत्नी हो पर मुझे ऐसा लगता क्यों नहीं।"

शिखा- क्यों ऐसा क्या है कि तुम ऐसा लगता नहीं कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं ।"

मुकेश- तुम मुझे देख कर मुस्कुराती नहीं हो। तुम मुझे ध्यान से देखती नहीं हो।मुझसे बात करने की कोशिश नहीं करती जैसे मम्मी पापा करते है,इंदर करता है,छोटी करती है। हमारी शादी को 4 साल हो गए ऐसी तो कहीं बातें होंगी हमारे बीच जो तुम मुझे बता सकती हो।

शिखा- मुझे कुछ याद नहीं है

मुकेश-। इसलिए मुझे लगता है कि तुम मेरी पत्नी नहीं हो ।

शिखा- तो ठीक ही लगता है लेकिन प्लीज मुझे तंग मत करो तुम शांत रहो और दवाई खाओ डॉक्टर ने तुम्हें ज्यादा सोचने से मना करा है इसलिए मैं ऐसा कुछ नहीं कहती।अब सो जाओ।

घर में मम्मी,पापा ,इंदर ,छोटी ,को जैसा मुकेश भाई चाहिए था वैसा मुकेश अपने एक्सीडेंट के बाद वापस आ गया था। अब वह ,अब से 9 साल पहले वाला ही मुकेश बन गया था जो सबके साथ बात करता था ।सबके साथ टाइम बितता था,लेकिन उसके और शिखा के बीच का संबंध अब भी अजनबी वाला ही था। मुकेश तो शिखा से बात करने की कई बार कोशिश करता था पर पता नहीं क्यों शिखा को ही मुकेश पर शक होता था कि मुकेश याददाश्त खोने की एक्टिंग कर रहा है।

6 महीने बाद मुकेश को अपनी नौकरी पर वापस जाना चाहता है। उसके पापा को लगता है कि अभी उसकी याददाश्त नहीं आई है। ऐसे में उसे अपनी नौकरी पर नहीं जाना चाहिए पर मुकेश उन्हें समझा लेता है कि वह अपना काम संभाल लेगा 6 महीने में वह काफी कुछ जान गया है।वह कोशिश करेगा और अगर कोई दिक्कत हुई तो वह छुट्टी ले लेगा। मुकेश वापस लखनऊ के लिए चल देता है।इस बार उसको अकेला लखनऊ नहीं जा रहा है उसकी मम्मी उसके साथ शिखा को भी भेजती है,ताकि शिखा मुकेश का ध्यान रख सके। शिखा मुकेश के साथ लखनऊ पहुंच जाती है।

मुकेश देखने में सही लग रहा है और चेहरे से काफी खुश लग रहा है।वह रेलवे स्टेशन से बाहर आकर आराम से टैक्सी वाले से बात करता है और जहां जाना था उस जगह का नाम बोलकर शिखा के साथ टैक्सी पर बैठ जाता है।शिखा को ना जाने क्यों बार-बार मुकेश पर शक हो रहा है कि वह एक्टिंग ही कर रहा है। जब मुकेश अपने घर पर पहुंचता है,तो घर का ताला खोलकर शिखा का हाथ पकड़कर अंदर ले जाकर सारा घर दिखाता है देखो शिखा यहां रसोई है,यहां सोने का कमरा है,यह होल है,यह बालकनी है,इस तरफ सब सामान रखा हैl शिखा इन सब चीजों पर ध्यान ना दे कर मुकेश का कॉलर कस के पकड़ कर पूछती है "तुम्हें सब कुछ याद है ना तुम एक्टिंग कर रहे थे ना याददाश्त जाने की बोलो मुकेश"
मुकेश "हां "
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