kuch ladke
कुछ लड़के नहीं देखते
गालों का रंग,
वो देखा करते हैं आंखों में
और उसी में खोना पसंद करते हैं।
न ही स्त्री की उम्र देखा करते है कुछ लड़के
उन्हें नहीं अपेक्षा होती
किसी शारीरिक सुन्दरता की
बस चहिए होता है
एक सुंदर मन।
वो नहीं चाहते चूमना
नर्म गुलाबी होंठों को
वो बस चाहते हैं
ता’उम्र हांथ पकड़कर चलना।
वो नहीं पसंद करते “तुम” लगाकर बोलना
“जी” लगाते हैं नाम के अंत में
वो कुछ लड़के पूर्णतः भिन्न होते हैं
तथा कथिक मर्द और उनकी मर्दानगी से
और वो उस पौरुष को दिखाने के
कतई पक्षधर नहीं होते
उन्हें भली भांति मालूम होता है इसका परिणाम।
वो नहीं चाहते साथ बस बिस्तर पर
वो चाहते हैं एक दोस्त, एक समझने वाला
जिससे कह सकें हर वो बात
जिसे वो बस खुद से कहते आएं हैं आज तक।
वो नहीं दिखाते रौब जरा सा भी,
और तनिक भी हिचकिचाते नहीं
अगर सही करना पड़े चुन्नट साड़ी की और
बनाते है,वो उसे बैठ अपने पाँव पर
वो नहीं चाहते अपनी
प्रेमिका के समक्ष नकली मजबूत बनना
वो चाहते हैं कांधे पर उसके
सर रख रोना, फफक सकना।
और,
वो कुछ लड़के बस अब कुछ ही बचे हैं।
गालों का रंग,
वो देखा करते हैं आंखों में
और उसी में खोना पसंद करते हैं।
न ही स्त्री की उम्र देखा करते है कुछ लड़के
उन्हें नहीं अपेक्षा होती
किसी शारीरिक सुन्दरता की
बस चहिए होता है
एक सुंदर मन।
वो नहीं चाहते चूमना
नर्म गुलाबी होंठों को
वो बस चाहते हैं
ता’उम्र हांथ पकड़कर चलना।
वो नहीं पसंद करते “तुम” लगाकर बोलना
“जी” लगाते हैं नाम के अंत में
वो कुछ लड़के पूर्णतः भिन्न होते हैं
तथा कथिक मर्द और उनकी मर्दानगी से
और वो उस पौरुष को दिखाने के
कतई पक्षधर नहीं होते
उन्हें भली भांति मालूम होता है इसका परिणाम।
वो नहीं चाहते साथ बस बिस्तर पर
वो चाहते हैं एक दोस्त, एक समझने वाला
जिससे कह सकें हर वो बात
जिसे वो बस खुद से कहते आएं हैं आज तक।
वो नहीं दिखाते रौब जरा सा भी,
और तनिक भी हिचकिचाते नहीं
अगर सही करना पड़े चुन्नट साड़ी की और
बनाते है,वो उसे बैठ अपने पाँव पर
वो नहीं चाहते अपनी
प्रेमिका के समक्ष नकली मजबूत बनना
वो चाहते हैं कांधे पर उसके
सर रख रोना, फफक सकना।
और,
वो कुछ लड़के बस अब कुछ ही बचे हैं।