...

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अक्स की कादंबरी ❤️
लहरो से आगे शेर की दहाड़ सुना दीजिए।
शेर को भी खुद को सुनने की आवाज छेड़ने दीजिए।
आखिर मजा सेवरों का तो शेरनी को भी आया था,
आज शेर को भी इंसान की भाती थोड़ी मस्ती अदा करने दीजिए,
एक नई लांकारिक शक्तियों से शेर को खुदा को सोचने दीजिए,
सातों कशिश आजमाइश की रंजिश में ले लेंगे।
सुंदरता फरमाइश लफ्जों को आखिरी दरवाजा दे देंगे
अनंत लहजे की रुकावट में कोई नहीं जहर बरसाने वाला,
कहर में भी शिद्दत नहीं कहर को बरसाने की,
आरजू को भी तलब नहीं इश्तहार को समझाने की,
रूमाइश के रौनक ए सातों जान वार दून
इश्क के कब्जे को पहली धमकी एक बार दू,
कबर की रस्सी को मैं चिकनाहट पैगाम दू
आर्सो से तुम हो जरूरी तुझे पाने के बदले तुझे इसके रंगत में क्या आशीर्वाद दूं?
बता ए ख्वाब दी कुड़ी नूर साहिबा,
मैं कैसे तेरी रजा पूर्ण करूं?