पवित्र प्रेम
© Nand Gopal Agnihotri
छुप छुप कर मिला करते थे दोनों, वर्षों से यह सिलसिला चल रहा था ।
दोनों जानते थे कि वे नदी के दो किनारे हैं, जो कभी एक नहीं हो सकते । क्योंकि बहुत सी विषमताएं थीं, न जाति एक न हैसियत ।
सहपाठी होने से क्या होता है, परिवार या...