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छोटी छोटी खुशियां
एक खूबसूरत से शहर में खूबसूरत सी सुबह ,हर दिन की तरह सुबह मॉर्निंग वाक के लिए निकल गयी ,हवा ठंडी थी पर सूरज की हलकी हलकी तपिश उसे मनमोहक बना रही थी I हर रोज़ मै एक ही रस्ते से गुजरती थी , वहां चहलपहल थोड़ा कम होती थी और रोड चौड़ी ,कभी कभी सड़क में दो चार लोग दीखते थे या फिर मेस में रहने वाले गेस्ट्स I मैं अक्सर गेस्ट को अनदेखा कर आगे निकल जाती थी पर आज ऐसा न कर पायी क्यूंकि आज मेरी नज़र एक बुज़ुर्ग दम्पति में पड़ी I दोनों मेस के बाहर एक दूसरे की फोटो खींच रहे थे I पहले आंटी पोज़ बना रही थी और अंकल क्लिक करे फिर अंकल पोज़ दे और आंटी क्लिक करे I ये सब मैं थोड़ी दूर से देख रही थी I फिर मैंने सोच कितना अच्छा हो की आज वह से सीधा निकलने से अच्छा हो की मैं उन दोनों की एकसाथ फोटो ले लू I मै उन सीनियर सिटीजन्स के पास जाकर बोली की कितना अच्छा होगा की आप दोनों साथ हो और मैं आप की फोटो खीचू I उन्होने मेरे इस प्रस्ताव को अपनी मुस्कान से स्वीकृति दी I आगे और कुछ न बोल कर मैंने अंकल के हाथ से मोबाइल लिया और उनकी दोनो ८-१० फोटोज खींची I उसके बाद बातों का सिलसिला शुरू हुआ पहले उन बुज़ुर्ग कपल ने अपना परिचय दिया ,फिर मैंने I बातों ही बातों में पता चला की उनका बेटा फ़ौज में पायलट है और वह लोग कुछ दिनों के लिए शिल्लोंग छुटियाँ मनाने आये हैं l फिर क्या था मैंने भी अपनी तरफ से उन्हें घूमने की जगह रिकमेंड कर दी l क्यूंकि मॉर्निंग वाक पर निकली थी तो ज़्यादा देर तक वहां नहीं रुक सकती थी और शायद उन लोगो तो भी निकलना था,मैंने उनसे विदा लिया और आगे बढ़ी I चलते चलते मेरे चेहरे पे मंद मंद मुस्कान थी, एक सुख का अनुभव ,एक ऐसा एहसास जिसको शायद शब्द पूरा न कर पाएं की कैसे एक छोटी सी पहल ने इतना ख़ुशी दी और यह सिखाया की खुशियां हमारे आसपास ही होती हैं हम बेकार में उन्हें ढूंढ़ने इधर उधर भटकते हैं I