"कंटीली झाड़ियां" भाग-२
अमिता बस असमंजस की स्थिति में थीं। धीरे-धीरे रात गहराने लगी और अमिता ने एक घने दरख़्त के नीचे पनाह ली, कहते है इन्सान को जब नींद आती है तो फिर वो जगह नहीं देखतीं और अमिता के साथ भी वही हुआ, कुछ ही देर में वो नींद की आगोश में समा गई।
सुबह सुमित ने उसे लगभग झकझोरते हुए जगाया "अरे उठों नाश्ता नहीं दोगी क्या आज मुझे" सुमित बोला तो अमिता हड़बड़ा कर उठ बैठी और सोचने लगी रात जो कुछ उसके साथ हुआ था वो आखिर क्या था सपना या महज़ एक एहसास?
खैर वो उठी और...
सुबह सुमित ने उसे लगभग झकझोरते हुए जगाया "अरे उठों नाश्ता नहीं दोगी क्या आज मुझे" सुमित बोला तो अमिता हड़बड़ा कर उठ बैठी और सोचने लगी रात जो कुछ उसके साथ हुआ था वो आखिर क्या था सपना या महज़ एक एहसास?
खैर वो उठी और...