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रोटी का भूत "अर्धनारीश्वर"
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि देवयानी जी मंगल श्री के सामने रखें एक प्लेट में रोटी रखती हैं परंतु दो रोटी होते ही उस प्लेट से दोनों रोटी अचानक गायब हो जाती है अब आगे........

बड़े ही शांत भाव से मंगल और श्री दोनों ही स्तब्ध रह जाते हैं और सोचने लगते हैं ऐसा क्यूँ हुआ.....उस रात जल से अपनी भूख मिटाने के पश्चात मंगल और श्री विश्राम के लिए कुटिया के शयन कक्ष में जाते हैं...उधर अतिथि सत्कार ना कर पाने की वजह से देवयानी जी को बहुत ग्लानि होती है और वह फूट-फूट कर रोने लगती है... स्वयं को कोसते हुए बोलती हैं कि कितने वर्षों के बाद कोई बाहरी जन हमारे कुटिया में पधारे हैं और आज बिना रोटी खाए ही सोना पड़ रहा है....

चंद्रमा की सुंदर किरणों के बीच मंगल श्री सोने का प्रयास करते हैं कुछ समय अवस्था के बाद दोनों गहरी नींद में सो जाते हैं ....

मंगल मध्य रात्रि में ही उठ जाता है और रोटी के अचानक गायब होने की रहस्य के बारे में जानने की पूरी कोशिश करता है....

इस तरह से रात्रि के बीत जाने के पश्चात सुबह सुंदर पक्षियों की मधुर...