"माफ़ी"
जब "साक्षी" और "अमर" घूमने जाया करते तो चलते वक्त "अमर" हमेशा "साक्षी" से आगे चलता। "साक्षी" का हाथ पकड़ कर चलना उसे अच्छा नहीं लगता। "साक्षी" भी इतनी ओपन माइंडेड नहीं थी और न ही इतनी हिम्मतवाली। हां पर उसे मन ही मन इस बात का मलाल रहता है कि "अमर" उसे सबके सामने स्वीकारता नहीं है।
डेटिंग के लिए "अमर" कोशिश करता कि जगह ऐसी हो जहां कम से कम लोग आते हों। ज़्यादा चहल-पहल ना हो और जाने पहचाने लोगों के मिलने का खतरा ना हो।
बड़े शहर में छोटा सा कोना (रेस्टोरेंट)था, जिसमें वो अक्सर जाया करते। वहां अक्सर दो तीन कपल ही आते थे। रेस्टोरेंट्स शहर की आबादी से दूर एकांत में था तो दोनों को प्यार के दो मीठे पल साथ बिताने को मिल जाते, जहां सुकून से अपनी बातें कर लेते।
दोनों के बीच प्यार तो था लेकिन "अमर" को भौतिक चीजों(साक्षी की खूबसूरती और उसके पहनावे) में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उसकी बातें हमेशा स्टडीज़, करियर और राजनीति से जुड़ी...
डेटिंग के लिए "अमर" कोशिश करता कि जगह ऐसी हो जहां कम से कम लोग आते हों। ज़्यादा चहल-पहल ना हो और जाने पहचाने लोगों के मिलने का खतरा ना हो।
बड़े शहर में छोटा सा कोना (रेस्टोरेंट)था, जिसमें वो अक्सर जाया करते। वहां अक्सर दो तीन कपल ही आते थे। रेस्टोरेंट्स शहर की आबादी से दूर एकांत में था तो दोनों को प्यार के दो मीठे पल साथ बिताने को मिल जाते, जहां सुकून से अपनी बातें कर लेते।
दोनों के बीच प्यार तो था लेकिन "अमर" को भौतिक चीजों(साक्षी की खूबसूरती और उसके पहनावे) में ज़्यादा दिलचस्पी नहीं थी। उसकी बातें हमेशा स्टडीज़, करियर और राजनीति से जुड़ी...