भक्ति के साथ पुरुषार्थ
मित्रों, आज संसार में सभी दुखी हैं, उसका मूल कारण है, लोग कर्म नहीं करते, कर्म करेंगे तब अनुकूल फल मिलेगा, कई बार लोग प्रश्न किया करते हैं कि कर्म बड़ा होता है या भाग्य बड़ा होता है? ये आज के जनमानस के अन्तर्मन में एक आम प्रश्न बन गया है, आप ये बात बिल्कुल स्पष्ट समझले कि भाग्य नाम की कोई चीज अलग से नहीं होती, जीव का जन्म कर्म से होता है, मृत्यु भी कर्म से होती है, सुख और दु:ख जो कुछ भी मिलता है, केवल कर्म से मिलता है।
कर्मणा जायते जन्तु: कर्मणैव विलीयते।
सुखं-दु:खं भयं क्षेमं कर्मणैवाभिपधते।।
यदि ईश्वर नाम की कोई चीज है तो वो भी फल उसी को देती है जो कर्म करता है, जो कर्म नहीं करता उसको फल ईश्वर कभी नहीं देता, शास्त्र कहते है- जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा, माना कि आपके पास बहुत कुछ है लेकिन कर्म तो आप शास्त्रों के विरुद्ध कर रहे हैं, तो यह समझ लेना की अब जो उपभोग कर रहे हो वह पूर्व जन्म का कर्म फल है, लेकिन इस जन्म का कर्म फल आपको आगे मिलेगा।
अस्ति चेदीश्वर: कश्चित् फलरूप्यन्त कर्मणाम्।
कर्तारं भजते सोऽपि न ह्मकर्तु: प्रभुहि स:।।
आज हमने बुरा...
कर्मणा जायते जन्तु: कर्मणैव विलीयते।
सुखं-दु:खं भयं क्षेमं कर्मणैवाभिपधते।।
यदि ईश्वर नाम की कोई चीज है तो वो भी फल उसी को देती है जो कर्म करता है, जो कर्म नहीं करता उसको फल ईश्वर कभी नहीं देता, शास्त्र कहते है- जैसा कर्म करेंगे वैसा फल मिलेगा, माना कि आपके पास बहुत कुछ है लेकिन कर्म तो आप शास्त्रों के विरुद्ध कर रहे हैं, तो यह समझ लेना की अब जो उपभोग कर रहे हो वह पूर्व जन्म का कर्म फल है, लेकिन इस जन्म का कर्म फल आपको आगे मिलेगा।
अस्ति चेदीश्वर: कश्चित् फलरूप्यन्त कर्मणाम्।
कर्तारं भजते सोऽपि न ह्मकर्तु: प्रभुहि स:।।
आज हमने बुरा...