समाज और समाज के लोंगो की विचारधाराएं
मेरे अनुसार लोगों की विचारधाराओं के सृजन में समाज की अहम भूमिका है क्योंकि समाज ही वह दर्पण है जिससे लोग अपने आसपास घट रही घटनाओं को देखकर इक विचारधारा का निर्माण करते हैं। जिस प्रकार की घटनाएं समाज में होती हैं उसी से लोग अपनी विचारधारा बना लेते हैं कि ऐसा ही हर क्षेत्र , हर प्रांत में होता होगा। अगर समाज में अच्छे कार्य हो रहे हैं तो लोगों की विचारधारा उसी तरफ गतिशील होकर अच्छे विचारों का निर्माण करती है ,जिससे लोग समाज के हित के बारे में सोचते हैं। यदि समाज में बुरे कार्य हो रहे हैं तो समाज की विचारधारा बन जाती है कि प्रत्येक दिन ही तो ये कार्य हो रहा है तो इसमें क्या बोलने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में लोगों की विचारधारा को बनाने में चंद उच्च पदों पर विराजमान राजनीतिज्ञों का अहम योगदान है वह जानबूझकर ऐसे कृत्यों को प्रस्तुत करते हैं जिससे लोगों की विचारधारा इंसानियत से हटकर एक विशेष समुदाय जाति या धर्म के लोगों के प्रति सोचे व एक घृणात्मक विचारधारा बनाए। उनकी विचारधारा में इस प्रकार से लगातार परिवर्तन करवाया जाता है जिससे समाज में जो अशिक्षित(पढ़े-लिखे अशिक्षित जिनको केवल डिग्रियाँ...