प्यारा बचपन
लगभग साठ साल पहले की बात है। मेरे नजदीकी परिचित है वो अक्सर अपने दादाजी - दादीजी की कहानी सुनाया करते थे। उसमें ये उनका प्यारा बचपन के बारे में सुनकर बहुत अच्छा लगा ये ही कहानी हम बताने जा रहे है।
गुजरात के नवसारी जिले में एक छोटा सा गाँव है। गाँव नाम है बोदाली। गाँव की बात ही निराली है।
तब गाँव में छोटी सी पगडंडी हुआ करती थी, बैलगाड़ी से एक गाँव से दूसरे गाँव या शहर बैलगाड़ी में बैठकर जाया करते थे।
गाँव की शुद्ध आबोहवा, लोग खेती करते थे और उनके यहाँ मछली पालन भी हुआ करता था।
गाँव में बहुत सारे तालाब तब हुआ करते थे!
हरे- भरे खेत, खेत के आसपास कच्चे मकान, कुछ ओर ही बात थी!
लोग घर के बाहर चारपाई में सोते थे! गाँव में चौपाल हुआ करती थी! बड़े बुजुर्ग वहाँ बैठते थे गपशप करके अपना समय गुजारा करते थे! तब वहाँ बिजली बहुत कम थी! इंटरनेट नहीं था ना ही किसी के पास मोबाइल था! बस रेडियो में गाना सुना करते थे।
गाँव की बात ही निराली है! सुबह वहाँ पनघट पे गाँव की...
गुजरात के नवसारी जिले में एक छोटा सा गाँव है। गाँव नाम है बोदाली। गाँव की बात ही निराली है।
तब गाँव में छोटी सी पगडंडी हुआ करती थी, बैलगाड़ी से एक गाँव से दूसरे गाँव या शहर बैलगाड़ी में बैठकर जाया करते थे।
गाँव की शुद्ध आबोहवा, लोग खेती करते थे और उनके यहाँ मछली पालन भी हुआ करता था।
गाँव में बहुत सारे तालाब तब हुआ करते थे!
हरे- भरे खेत, खेत के आसपास कच्चे मकान, कुछ ओर ही बात थी!
लोग घर के बाहर चारपाई में सोते थे! गाँव में चौपाल हुआ करती थी! बड़े बुजुर्ग वहाँ बैठते थे गपशप करके अपना समय गुजारा करते थे! तब वहाँ बिजली बहुत कम थी! इंटरनेट नहीं था ना ही किसी के पास मोबाइल था! बस रेडियो में गाना सुना करते थे।
गाँव की बात ही निराली है! सुबह वहाँ पनघट पे गाँव की...