मेरी खामोशी में छिपी गहरायी
आज बहुत कश्मकश में हूँ, दिल भी भारी भारी हो रहा है! तीन चार दिनों से मेरा जी मिचला रहा है कोई भी चीज़ की सुगंध मुझे और भी परेशान कर रही है! शायद मैं उस दहलीज़ पर तो नहीं जहां से मेरे पदबी...