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'कल्पनिक कथानक' "ज्ञान" और "ज्ञानी" के संदर्भ में
एक काल्पनिक 'कथानक' मैं अपने अर्जित 'ज्ञान' के द्वारा जो भी महसूस किया उसका वर्णन कर रहा हूँ!
'ज्ञान' मानव जीवन में वह सरलतम सीढ़ी है, जिसके आधार पर वह अपनी 'यश' और 'अपयश' की गाथा लिखता है! और जिसके आधार पर ही उसकी पहचान परिवार से शुरू होकर, समाज में और इसी क्रम में बहुत आगे तक बढ़ती है! लोग हमारा आकलन भी हमारे द्वारा अर्जित ज्ञान के आधार पर ही करते हैं! परन्तु अर्जित किये हुए ज्ञान का गुण गान, प्रचार और प्रसार न हो तो वह "ज्ञान" भी किताबों में वर्णित ज्ञान के समान रह जाता है, जिसका किसी ने उपयोग न किया हो! और उचित प्रचार और प्रसार के अभाव में वह विलीन हो जाता है!
कहने का तात्पर्य यह है कि, हम जो अर्जित ज्ञान के आधार पर जानते हैं, ज़रूरी नहीं की वही सभी जानते हों, और जो बाकी सब लोग जानतें हों वह हमें भी ज्ञान हो! तो हम इसी तथ्य ke आधार पर कह सकते हैं, कि हमारे जीवन का मुख्य आधार ही "आदान" और "प्रदान" पर आधारित है! परन्तु इस सोंच तक पहुँचने के लिए, हमें जरा ऊँचे उठ कर ऊँचा सोचना होगा!
हम सभी की बनावट लगभग एक जैसी ही है और समान व्यवहार भी होना चाहिए! परन्तु यही विचारों और व्यवहार की बदौलत हम एक दूसरे से काफी भिन्न हैं! कोई अपने अर्जित ज्ञान का उचित प्रचार और प्रसार बेहतर ढंग से करके, लोगों के बीच अपनी अलग ही पहचान कायम कर लेता है! तो कई लोग इस मुकाम को आसानी से हासिल नहीं कर पाते!
जैसा कि हम अपने आस पास देख पाते हैं कि एक प्रख्यात 'बातूनी' इंसान किसी न किसी रूप में बहुत लोगों के जहन में अपनी मजबूत जगह बना लेता है! फिर चाहे वह अच्छाई के रूप में हो य बुराई के रूप में, परन्तु लोगों को सोंचने पर विवस करते हुए अपने आप को एक अलग ही मुकाम पर पहुँचा लेता है!
यह काल्पनिक वृतांत साझा करने का सिर्फ़ मेरा तात्पर्य यह है कि, अपने द्वारा अर्जित किये ज्ञान को कई दूसरे लोगों तक पहुँचाना है! कैसे पहुँचाये, यह भी अपने द्वारा अर्जित किये गए ज्ञान पर ही आधारित है!
"ज्ञान" से "ज्ञानी" बनने की राह खोजना शुरू तो करें, रास्ता अपने आप निकल आयेगा!

"बन्द जादू की पुड़िया, खुलने पर ही असर कारक होगी"

🌹धन्यवाद🌹 "प्रथम वृतांत"🙏🏻
© anil_kumar