कोरोना का कहर। ( भाग :- 1
रोहित बदहवास सा हैरान परेशान सा हॉस्पिटल के ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैचेनी और घबराहट में चहलकदमी कर रहा था। ऑपरेशन थिएटर की रेड लाइट उसे जैसे बहुत ही ज़्यादा चिढ़ा रही थी। पिछले 3 घंटे से मोनिका ऑपरेशन थिएटर के अंदर थी और बाहर अकेले खड़े हुए रोहित की घबराहट बढ़ती ही जा रही थी। कभी वह मोनिका की सलामती के लिए भगवान से प्रार्थना करता तो कभी ऑपरेशन थिएटर की लाइट की तरफ देखता और कभी घड़ी की तरफ देखता। रोहित को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपनी पत्नी मोनिका के लिए क्या करें और उस समय वो सिर्फ़ मन ही मन में भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि भगवान जी मेरी पत्नी मोनिका को बचा लीजिए और ज़िन्दगी में कभी भी कुछ भी नहीं माँगूँगा।
तब ही रोहित की नज़र सामने से आती ,मोनिका की मम्मी जी पूजा पर पड़ी। पूजा जी की मानसिक मजबूती उनके व्यक्तित्व से ही झलकती थी। वक़्त के थपेड़ों ने उन्हें हर परिस्थिति को धैर्य से सम्हालना सीखा दिया था। उनके स्वयं के मन के समंदर के भीतर भारी तूफ़ान आया हुआ था, लेकिन चिंता की लहरें उनके साहस के किनारों को हिला नहीं पा रही थी। रोहित के फ़ोन के बाद से अब तक उन्होंने अपने को सम्हाल रखा था। वह अच्छे से जानती थी कि अगर वह ज़रा भी बिखरी तो रोहित और मोनिका को कौन समेटेगा। पूजा जी ये भी भलीभाँति जानती थी कि अगर वो स्वयं ही टूट गई तो बेटी मोनिका और दामाद रोहित को कौन संभालेगा।
उधर अब तक...
तब ही रोहित की नज़र सामने से आती ,मोनिका की मम्मी जी पूजा पर पड़ी। पूजा जी की मानसिक मजबूती उनके व्यक्तित्व से ही झलकती थी। वक़्त के थपेड़ों ने उन्हें हर परिस्थिति को धैर्य से सम्हालना सीखा दिया था। उनके स्वयं के मन के समंदर के भीतर भारी तूफ़ान आया हुआ था, लेकिन चिंता की लहरें उनके साहस के किनारों को हिला नहीं पा रही थी। रोहित के फ़ोन के बाद से अब तक उन्होंने अपने को सम्हाल रखा था। वह अच्छे से जानती थी कि अगर वह ज़रा भी बिखरी तो रोहित और मोनिका को कौन समेटेगा। पूजा जी ये भी भलीभाँति जानती थी कि अगर वो स्वयं ही टूट गई तो बेटी मोनिका और दामाद रोहित को कौन संभालेगा।
उधर अब तक...