बडा शहर
बड़ा शहर
आमतौर पर सभी लोगों को बड़े शहर में रहने की इच्छा होती हैं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जब बड़े शहर में जाते है जल्द ही वापिस अपने गांव में लौट आते है वे समझ जाते है कि व्यर्थ ही बड़े शहर के प्रति आकर्षित होते रहे,असली सुख तो गांव में ही है।
ये कहानी वे ही भाव व्यक्त करते हुए लिखी है आशा करती हूंँ कि आप सभी को पसंद आए।
बड़ा शहर
प्रमिला बहन आज सुबह से ही बड़ी खुश थी आस पास वालों को भी बोल रही हैं कि वो पहली बार हवाई जहाज से बड़ा शहर जा रही है। पता नही कब आना होगा लेकिन आप सभी को बहुत याद करूंगी।
तभी बेटे आदित्य ने कहा कि हवाई जहाज के लिए दूसरे शहर जाना होगा मैं रिक्शा लाता हूंँ आप समान देख लो ।
तब प्रमिला बहन ने फटाफट बची हुई रोटी अपने पति को देकर कहा ये गाय को दे दो ,और कुत्ते को भी दे देना। मैं समान निकालती हूंँ। हां ठीक है लेकिन ज्यादा समान मत लेना नही तो अलग से पैसे देना होगा उनके पति ने कहा।
बड़ी खुशी से प्रमिला बहन ने समान बाहर ओटले पर रखा,रिक्शा आते ही आस पास वालों ने उन्हें बिठाया और शुभ यात्रा कह कर बिदा किया , वे तीनों सवार हो गए और शहर आते ही एयरपोर्ट पहुंचे।
प्रमिला बहन को विशेष खुशी थी कि वह पहली बार हवाई जहाज में यात्रा करने वाली है।
हवाई जहाज में बैठ कर प्रमिला बहन को बड़ा सुखद अनुभव हुआ वे सोच रही थी कि बचपन में सिर्फ हवाई जहाज देख कर उछल पड़ती थीं और आज पक्षियों की भांति खुद उड़ रही है,उनका यह सपना साकार कर दिया है उनके बेटे आदित्य ने।
कुछ ही देर में वो सभी बड़ा शहर में आ गए,टैक्सी करके वो अपने घर की ओर रवाना हुए।रास्ते में आने वाली सभी इमारत,बगीचे और चौराहों की जानकारी उनका बेटा उनको दे रहा था।
अपनी सोसाइटी के पास आते ही कार रुक गई। कार का भुगतान करके अपना सामान ले कर वो सभी लिफ्ट से अपने फ्लोर तक पहुंच गए,प्रमिला बहन सोच रही थी कि बिना किसी चढ़ाव के वे लोग कितनी आसानी से दस दस मंजिल ऊपर आ गए।
जब आदित्य का घर देखा तो वे दंग रह गई ,रसोई में मुश्किल से दो लोग खड़े हो पाते थे,कमरे में पलंग और अलमारी के अलावा पैर रखने की जगह नहीं और जिसे बड़ा हॉल बोल रहे हैं वो तो उनके गांव के कमरे के बराबर भी नहीं।
घर तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया,बहुत छोटा घर है ये तो..!प्रमिला बहन ने कहा
तब आदित्य ने कहा कि इसके लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े तब जाके मिला है और कीमत भी बहुत है।
आप दोनो तैयार हो जाओ मैं चाय बना देता हूंँ, तभी फ्रिज से दूध का पैकेट निकाला मां ने कहा कि ये क्या है?आदित्य ने बताया ,ये दूध है यहां ऐसे ही मिलता है !
वाश रूम में वेस्टर्न टॉयलेट सीट देख कर मां को समझ नहीं आया कि इसे कैसे इस्तेमाल करते है।तब आदित्य ने बताया और कहा धीरे धीरे आदत हो जायेगी।
चाय पी कर मांँ ने कहा _गांव से कच्चे आम का अचार लाई थी अपने आस पास वालों को दे दे थोड़ा सा।
तभी आदित्य के पिता ने कहा _यहांँ तो कोई बात नहीं करते । मैंने आज एक आदमी को "राम राम" कहा तो बिना देखे वो चला गया।
आदित्य ने कहा _यहांँ सभी सर्विस क्लास लोग हैं सुबह ऑफिस जाते है शाम को आते है। शनिवार-रविवार को उनका बाजार और साफ सफाई का काम करते हैं,किसी को भी समय नहीं।इसलिए यहां कोई किसी से बात नही करता।
दो चार दिन में ही प्रमिला बहन को गांव की याद आने लगी।बड़ा शहर के छोटे और ऊंचे से फ्लैट में आदमी कैद हो गया। न कोई आदमी दिखे, न किसी से कोई बात हो। दिन भर टीवी,मोबाइल देखो,जितनी अच्छी तनख्वाह मिलती है उतने ही महंगे खर्चे है।फल,सब्जी और दूध भी ताजा नही मिलता और कीमत दुगनी। गाय नहीं,कुत्ता नही, अरे आसमान में पक्षी भी नहीं..!कोई हाल चाल जानने वाला रिश्तेदार और पड़ोसी भी नहीं..!
मश्किल से दस दिन बाद ही प्रमिला बहन ने अपने बेटे से कहा_"आदित्य सुनो ..! मै यहां नही रह सकती ,मुझे गांव की याद आ रही है ये AC भी सहन नहीं होता।कुछ दिन और रही तो बीमार हो जाऊंगी"।
मांँ की बात सुनकर आदित्य ने कहा _ऐसा क्या हुआ मांँ..!क्या मेरे द्वारा कोई गलती हो गई या कोई गलत व्यवहार हो गया।खाने पीने में कोई कसर बाकी रख दी।आखिर किस बात की कमी रह गई?मुझसे कोई गलती हो गई है तो मैं आपसे माफी मांगता हूं,लेकिन आप वापिस जाने की बात नहीं करो।यहीं मेरे पास ही रहो।
आदित्य की बात सुनके उसके पिता ने कहा _तुमसे कहीं कोई गलती नहीं हुई लेकिन हम गांव के खुले खुले माहौल में रहे हुए हैं इसलिए यहां नही रह पा रहे।
गांव का घर कच्चा है लेकिन ओटले पर शाम सुबह हम बैठ कर दो बाते सुख दुख की कर लेते है,आने जाने वालों से "राम राम"भी हो जाती हैं लेकिन बड़ा शहर है ये यहांँ ये सब कुछ नहीं होता है इसलिए हम दोनों गांव जाना चाहते है।अपने आप को दोष मत दो तुम आदित्य..!
गांव पहुंचते ही सबसे पहले प्रमिला बहन अपने आस पास वालों से मिली और बड़े शहर की छोटी छोटी बातें बताई,फिर वह बोली की अब तो आखरी सांस तक मुझे अपने इसी गांव में ही रहना है,कहते हुए उनकी आंँखे नम मगर चेहरे पर संतोष के भाव थे..!
बड़ा शहर,चमकती हुई सड़कें,ऊंची इमारतें ये सब लोगो को आकर्षित कर सकते है लेकिन,लोगो को शांति नही दे सकते।वह तो जहांँ जिस गांव में आप रह रहे है वहीं पर ही मिलेगी।
#shobhavyas
#WritcoQuote
#writco
आमतौर पर सभी लोगों को बड़े शहर में रहने की इच्छा होती हैं ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जब बड़े शहर में जाते है जल्द ही वापिस अपने गांव में लौट आते है वे समझ जाते है कि व्यर्थ ही बड़े शहर के प्रति आकर्षित होते रहे,असली सुख तो गांव में ही है।
ये कहानी वे ही भाव व्यक्त करते हुए लिखी है आशा करती हूंँ कि आप सभी को पसंद आए।
बड़ा शहर
प्रमिला बहन आज सुबह से ही बड़ी खुश थी आस पास वालों को भी बोल रही हैं कि वो पहली बार हवाई जहाज से बड़ा शहर जा रही है। पता नही कब आना होगा लेकिन आप सभी को बहुत याद करूंगी।
तभी बेटे आदित्य ने कहा कि हवाई जहाज के लिए दूसरे शहर जाना होगा मैं रिक्शा लाता हूंँ आप समान देख लो ।
तब प्रमिला बहन ने फटाफट बची हुई रोटी अपने पति को देकर कहा ये गाय को दे दो ,और कुत्ते को भी दे देना। मैं समान निकालती हूंँ। हां ठीक है लेकिन ज्यादा समान मत लेना नही तो अलग से पैसे देना होगा उनके पति ने कहा।
बड़ी खुशी से प्रमिला बहन ने समान बाहर ओटले पर रखा,रिक्शा आते ही आस पास वालों ने उन्हें बिठाया और शुभ यात्रा कह कर बिदा किया , वे तीनों सवार हो गए और शहर आते ही एयरपोर्ट पहुंचे।
प्रमिला बहन को विशेष खुशी थी कि वह पहली बार हवाई जहाज में यात्रा करने वाली है।
हवाई जहाज में बैठ कर प्रमिला बहन को बड़ा सुखद अनुभव हुआ वे सोच रही थी कि बचपन में सिर्फ हवाई जहाज देख कर उछल पड़ती थीं और आज पक्षियों की भांति खुद उड़ रही है,उनका यह सपना साकार कर दिया है उनके बेटे आदित्य ने।
कुछ ही देर में वो सभी बड़ा शहर में आ गए,टैक्सी करके वो अपने घर की ओर रवाना हुए।रास्ते में आने वाली सभी इमारत,बगीचे और चौराहों की जानकारी उनका बेटा उनको दे रहा था।
अपनी सोसाइटी के पास आते ही कार रुक गई। कार का भुगतान करके अपना सामान ले कर वो सभी लिफ्ट से अपने फ्लोर तक पहुंच गए,प्रमिला बहन सोच रही थी कि बिना किसी चढ़ाव के वे लोग कितनी आसानी से दस दस मंजिल ऊपर आ गए।
जब आदित्य का घर देखा तो वे दंग रह गई ,रसोई में मुश्किल से दो लोग खड़े हो पाते थे,कमरे में पलंग और अलमारी के अलावा पैर रखने की जगह नहीं और जिसे बड़ा हॉल बोल रहे हैं वो तो उनके गांव के कमरे के बराबर भी नहीं।
घर तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया,बहुत छोटा घर है ये तो..!प्रमिला बहन ने कहा
तब आदित्य ने कहा कि इसके लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े तब जाके मिला है और कीमत भी बहुत है।
आप दोनो तैयार हो जाओ मैं चाय बना देता हूंँ, तभी फ्रिज से दूध का पैकेट निकाला मां ने कहा कि ये क्या है?आदित्य ने बताया ,ये दूध है यहां ऐसे ही मिलता है !
वाश रूम में वेस्टर्न टॉयलेट सीट देख कर मां को समझ नहीं आया कि इसे कैसे इस्तेमाल करते है।तब आदित्य ने बताया और कहा धीरे धीरे आदत हो जायेगी।
चाय पी कर मांँ ने कहा _गांव से कच्चे आम का अचार लाई थी अपने आस पास वालों को दे दे थोड़ा सा।
तभी आदित्य के पिता ने कहा _यहांँ तो कोई बात नहीं करते । मैंने आज एक आदमी को "राम राम" कहा तो बिना देखे वो चला गया।
आदित्य ने कहा _यहांँ सभी सर्विस क्लास लोग हैं सुबह ऑफिस जाते है शाम को आते है। शनिवार-रविवार को उनका बाजार और साफ सफाई का काम करते हैं,किसी को भी समय नहीं।इसलिए यहां कोई किसी से बात नही करता।
दो चार दिन में ही प्रमिला बहन को गांव की याद आने लगी।बड़ा शहर के छोटे और ऊंचे से फ्लैट में आदमी कैद हो गया। न कोई आदमी दिखे, न किसी से कोई बात हो। दिन भर टीवी,मोबाइल देखो,जितनी अच्छी तनख्वाह मिलती है उतने ही महंगे खर्चे है।फल,सब्जी और दूध भी ताजा नही मिलता और कीमत दुगनी। गाय नहीं,कुत्ता नही, अरे आसमान में पक्षी भी नहीं..!कोई हाल चाल जानने वाला रिश्तेदार और पड़ोसी भी नहीं..!
मश्किल से दस दिन बाद ही प्रमिला बहन ने अपने बेटे से कहा_"आदित्य सुनो ..! मै यहां नही रह सकती ,मुझे गांव की याद आ रही है ये AC भी सहन नहीं होता।कुछ दिन और रही तो बीमार हो जाऊंगी"।
मांँ की बात सुनकर आदित्य ने कहा _ऐसा क्या हुआ मांँ..!क्या मेरे द्वारा कोई गलती हो गई या कोई गलत व्यवहार हो गया।खाने पीने में कोई कसर बाकी रख दी।आखिर किस बात की कमी रह गई?मुझसे कोई गलती हो गई है तो मैं आपसे माफी मांगता हूं,लेकिन आप वापिस जाने की बात नहीं करो।यहीं मेरे पास ही रहो।
आदित्य की बात सुनके उसके पिता ने कहा _तुमसे कहीं कोई गलती नहीं हुई लेकिन हम गांव के खुले खुले माहौल में रहे हुए हैं इसलिए यहां नही रह पा रहे।
गांव का घर कच्चा है लेकिन ओटले पर शाम सुबह हम बैठ कर दो बाते सुख दुख की कर लेते है,आने जाने वालों से "राम राम"भी हो जाती हैं लेकिन बड़ा शहर है ये यहांँ ये सब कुछ नहीं होता है इसलिए हम दोनों गांव जाना चाहते है।अपने आप को दोष मत दो तुम आदित्य..!
गांव पहुंचते ही सबसे पहले प्रमिला बहन अपने आस पास वालों से मिली और बड़े शहर की छोटी छोटी बातें बताई,फिर वह बोली की अब तो आखरी सांस तक मुझे अपने इसी गांव में ही रहना है,कहते हुए उनकी आंँखे नम मगर चेहरे पर संतोष के भाव थे..!
बड़ा शहर,चमकती हुई सड़कें,ऊंची इमारतें ये सब लोगो को आकर्षित कर सकते है लेकिन,लोगो को शांति नही दे सकते।वह तो जहांँ जिस गांव में आप रह रहे है वहीं पर ही मिलेगी।
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