कहानी सपनों कि उरान कि ओर
मैं कुछ सोच के निकली थी
बस उस सफ़र कि शुरुआत हुई थी जिसमें कुछ समय पूर्व की सारी बातें याद कर।
अपने जीवन के कहानी संग्रह प्रकाशित करने कि ओर मैं पन्नों पे लिख जा रही हूं।।
मैं एक गरीब परिवार में जन्मी जहां परिवार में कई में मतभेद और आपसे का दूर-दूर तक वास्ता न था
वहां घर की स्थिति और माहौल पढ़ाई लिखाई के अनुकूल न हो नाही एक अच्छा सा सृष्टि माहौल परिवार अपने मन की बात सही ढंग से और क्या कैसे करना आदि।
मैं कई उन आकर्षण एक कहानियों से ज्यादा हकीकत की जो देखा वह मेरे मन में अंकित हो कहीं ना कहीं एक दर्श बैठा ही रहा गया जो देखा बचपन में आकृति दर भाई बहुत कुछ जो ना लिखा जा सकता ना कहा जा सकता आदि।
देख बचपन में कई घरेलू हिंसा होते अपने अपने अपनों के ऊपर किया जो अत्याचार जोधपुर व्यवहार जो अपमन्यु बोल वचन कई ऐसी बातें जिसे बोलना भी हम आवारा नहीं करते आदि।
मैं जैसे-जैसे बड़ी होती गई मुझे बातों की समझ होने लगी कि जो बचपन में हुआ वह सही था या गलत क्योंकि बचपन की बातें इतनी ज्यादा समझ में नहीं आती थी कि सही हो रहा है या गलत समझ आया उसे उसके खिलाफ आवाज थाने लगी तो प्यार की जगह कोई टकर मिले पर आगे बढ़ती गई लड़ाई...
बस उस सफ़र कि शुरुआत हुई थी जिसमें कुछ समय पूर्व की सारी बातें याद कर।
अपने जीवन के कहानी संग्रह प्रकाशित करने कि ओर मैं पन्नों पे लिख जा रही हूं।।
मैं एक गरीब परिवार में जन्मी जहां परिवार में कई में मतभेद और आपसे का दूर-दूर तक वास्ता न था
वहां घर की स्थिति और माहौल पढ़ाई लिखाई के अनुकूल न हो नाही एक अच्छा सा सृष्टि माहौल परिवार अपने मन की बात सही ढंग से और क्या कैसे करना आदि।
मैं कई उन आकर्षण एक कहानियों से ज्यादा हकीकत की जो देखा वह मेरे मन में अंकित हो कहीं ना कहीं एक दर्श बैठा ही रहा गया जो देखा बचपन में आकृति दर भाई बहुत कुछ जो ना लिखा जा सकता ना कहा जा सकता आदि।
देख बचपन में कई घरेलू हिंसा होते अपने अपने अपनों के ऊपर किया जो अत्याचार जोधपुर व्यवहार जो अपमन्यु बोल वचन कई ऐसी बातें जिसे बोलना भी हम आवारा नहीं करते आदि।
मैं जैसे-जैसे बड़ी होती गई मुझे बातों की समझ होने लगी कि जो बचपन में हुआ वह सही था या गलत क्योंकि बचपन की बातें इतनी ज्यादा समझ में नहीं आती थी कि सही हो रहा है या गलत समझ आया उसे उसके खिलाफ आवाज थाने लगी तो प्यार की जगह कोई टकर मिले पर आगे बढ़ती गई लड़ाई...