जीवन अभिलाषा।।
मैं क्या हु ,मैं कौन हूं,मेरे जीवन क्या है इन्ही सब सवालों मैं घिरी हुई जिंदगी चली जा रही थी और आज भी उसी सवाल का एक सवाल ये भी था कि क्या यही है तेरी जिंदगी ,जिसे तू अपना बनाता रहा उनको अब तक हँसाता रहा क्या ये जीवन मे तूने यही कमाया है खुद की बेजत्ती करा कर जो दुसरे को हँसाता रहा उन्हें तो ये भी नही पता तू कौन ओर क्या है,तेरी भी कोई इज़्ज़त है,ये जिल्लत भरी जिंदगी मैं कौन तेरा अपना है कौन पराया ये तू अभी भी न जान सका
फिर भी तू कहता है तू एक अच्छी...
फिर भी तू कहता है तू एक अच्छी...