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समझौता...‌‌(भाग- 1 )
निशी की जिंदगी एक समझौता थी । वो करती भी तो क्या उसकी समस्या आसान नहीं थी।
कुछ अजीबो गरीब तरह के उसके विचार थे और कुछ अजीबो गरीब खुद वो, कभी कभी तो वो खुद को ही नही समझ पाती थी। वो अपनी मर्जी की जिंदगी नही जी रही थी ,उसने अपने परिवार के लिए, समाज के लिए अपनी जिंदगी से समझौता किया था । दरअसल वो एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती थी, और उसको लगता था की उसको किसी भी हालत में अपने परिवार की खुशी का उनकी इज्जत का ध्यान रखना था ,उसको पता था अगर वो अपनी समस्या किसी को बताएगी तो लोग भला बुरा कहेंगे और बेमतलब की बातें कहेंगे क्योंकि हमारे समाज में किसी को समझा नही जाता है बल्कि उसपर उंगली उठाई जाती है। सिर्फ एक लड़की थी, उसकी ज़िंदगी में जो इसको उसके जज्बातों को सिर्फ समझती ही नही बल्कि हर कदम पर उसका साथ भी देती थी।
खैर उसने तय कर लिया जब तक जिंदा रहेगी तब तक अपनी जिंदगी से बस हर कदम पर समझौता करेगी।
खैर आज भी वैसा ही सिलसिला चल रहा है उसकी जिंदगी में देखते हैं अब आगे क्या होता है ।
कभी बदलती है उसकी जिंदगी या बस ऐसे ही चलेगी देखते है अगले भाग में....

© nainshi anand