फ़र्क़ पड़ता है!
ग़ालिब कहते हैँ - "मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने
और मरने का उसी को देख कर जीते हैं
जिस काफ़िर पे दम निकले"
साहिर लुधियानवी कहते हैँ - "ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया"...
एक आशिक अपनी मशहूक़ा के दुश्मन से कहता है -
"तुमने उसे सिर्फ नफरत से देखा है और मेने प्यार से हम दोनों मैं बस यही फ़र्क़ है "
एक शख्श अपने दुश्मन से कहता है "दुश्मिनी का सफर एक कदम दो कदम तुम भी थक जाओगे हम भी थक जायेंगे, तुम दुश्मनी करना चाहते हो और हम दुश्मिनी ख़तम करना चाहते हैँ हम दोनों मैं बस यही फ़र्क़ है.....
फ़र्क़ पड़ता है -- इस दुनिया मैं लोगों की कमी नहीं है पर अगर वो ही ना मिले तो फ़र्क़ पड़ता है,!
हम इस बड़ी सी दुनिया मैं बहुत से लोगों से मिलते हैँ...
और मरने का उसी को देख कर जीते हैं
जिस काफ़िर पे दम निकले"
साहिर लुधियानवी कहते हैँ - "ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया"...
एक आशिक अपनी मशहूक़ा के दुश्मन से कहता है -
"तुमने उसे सिर्फ नफरत से देखा है और मेने प्यार से हम दोनों मैं बस यही फ़र्क़ है "
एक शख्श अपने दुश्मन से कहता है "दुश्मिनी का सफर एक कदम दो कदम तुम भी थक जाओगे हम भी थक जायेंगे, तुम दुश्मनी करना चाहते हो और हम दुश्मिनी ख़तम करना चाहते हैँ हम दोनों मैं बस यही फ़र्क़ है.....
फ़र्क़ पड़ता है -- इस दुनिया मैं लोगों की कमी नहीं है पर अगर वो ही ना मिले तो फ़र्क़ पड़ता है,!
हम इस बड़ी सी दुनिया मैं बहुत से लोगों से मिलते हैँ...