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रविवार सम्वाद विथ हानिया पार्ट 4
रोज़ की तरह ही दिन अपनी गत्ती से चल रहा था... रोज़ की तरह मैं अपने कार्यशेत्र पर जाने को तैयार हो रही थी। एक आदत है कि जितनी देर तैयार होती हूं उतनी देर सिस्टर ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी से ज्ञान की बातें सुन लिया करती हूं YouTube के माध्यम से। इसी तरह कुछ दिनों से मैं अपनी जॉब से अंदर ही अंदर दूर होने लगी... वह जॉब जो मुझे इज़्ज़त, मान, सम्मान, पैसे सब देती है... वह जॉब जो मैं हमेशा से करना चाहती थी। वह पल मानों आज भी यादों में ताज़ा हैं जब टेबल कुर्सियों को ही अपने स्टूडेंट्स बना कर, रफ़ कॉपी में अटेंडेंस लेती थी। अपनी मामी जी के हाई हील सैंडल और चुनरी लेकर अध्यापिका बनती थी। अपने पापा को स्केल मार के पढ़ाती थी। आज वह जॉब मुझे बंदिश और बोझ लगने लगी थी। रोज शुक्राना करने की आदत है मुझे जिसको लिख कर करती हूं... उसमें जब "thank u for my job" लिखती थी तो एक असहजता महसूस करती थी। खुद से पूछती थी कि किस बात का थैंक यू... जब इस जॉब में सिर्फ़ बंदिश के अलावा और कुछ नहीं है? बहुत बेसुकूनी थी उन पलों में। खुद की पहचान से जंग थी मेरी। मुझे अचानक लाइफ कोच, जर्नलिंग कोच, टैरो कोच ना जाने क्या क्या बन ना था... मुझे ऑनलाइन कोर्स बेचने थे... इस सब को सीखने को मुझे 10 लाख चाहिए थे और ये सोच मुझे स्ट्रेस दे रही थी। लेकिन शुक्रिया तहे दिल से मेरी सोल सिस्टर अर्चना को जिसने मेरी आत्मा को नींद से जगाया। बातों बातों में मुझे याद कराया कि मैं शिक्षक हूँ ,आज से नहीं कई सालों से मेरी नीव, मेरे विचार, मेरी सोच ,शिक्षण से जुड़ी है। कुछ नया करना बुरा नहीं लेकिन अपनी जड़ो से कट जाना भी ठीक नहीं। मेरे विचारों को नई दिशा मिली। मुझे ये समझ आया कि मैं सच में क्या हूँ। मैं लेखिका भी हूँ जो कि आप सभ भी मेरी लेखनी में देख पा रहे हैं। आज भी मैं नया करना चाहती हूँ लेकिन आज मैं अपनी जड़ौ से जुड़ी
हुई हूँ। मैंने ये भूलाया नहीं कि मेरी पहचान क्या है, मेरा मूल्य क्या है, मेरे प्लस प्वाइंट्स क्या हैं। आज मन भरपूरता से भरा हुआ है। आज सिस्टर शिवानी की बातों को प्रैक्टिस में लाई हूँ... आज वह कंटेंट जो मुझे खुद से दूर ले जा रहा था, उसे देखना सुनना छोड़ दिया है मैंने। कौन कहता है ज्ञान जंगल जाकर ही मिलता है। इंसान स्वें चिंतन करे तो संसार में रहते हुए ही ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है।
Early posting ....kyunki mein. vicharo ko baandh kar nahi rakh sakti sunday tak
#consciousliving #backtoroots
© Haniya kaur