दुख कैसे कैसे
एक ये घर वाले हैं
मतलब,मां बाप इनकी चिंताएं खत्म ही नहीं होती।
ये पता नहीं किस लिए जी रहे हैं।
बच्चे पैदा कर दिया उन्हे अच्छी शिक्षा दे दिया फिर क्यों मुक्त नही हो जाते।
इनको क्यों लगता है पूरी जिंदगी कोई न कोई
चिंता पालना ही इनके जिंदगी का इकलौता मकसद है।
बच्चे, बड़े हो गए तो उनकी नौकरी की चिंता,
नौकरी मिल गई तो शादी की चिंता ,शादी हो गई तो फिर बच्चे की चिंता अरे ये खतम क्यों नही हो रहा भाई।
तुम लोग...
मतलब,मां बाप इनकी चिंताएं खत्म ही नहीं होती।
ये पता नहीं किस लिए जी रहे हैं।
बच्चे पैदा कर दिया उन्हे अच्छी शिक्षा दे दिया फिर क्यों मुक्त नही हो जाते।
इनको क्यों लगता है पूरी जिंदगी कोई न कोई
चिंता पालना ही इनके जिंदगी का इकलौता मकसद है।
बच्चे, बड़े हो गए तो उनकी नौकरी की चिंता,
नौकरी मिल गई तो शादी की चिंता ,शादी हो गई तो फिर बच्चे की चिंता अरे ये खतम क्यों नही हो रहा भाई।
तुम लोग...